Balrampur News: माँ पाटेश्वरी विश्वविद्यालय, बलरामपुर में "हिन्दी: अकादमिक नवाचार" पर संगोष्ठी, सेवानिवृत्त शिक्षकों का सम्मान

Balrampur News: कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह ने हिन्दी पाठ्यक्रम में महात्मा बनादास को शामिल करने पर जताई खुशी, भविष्य में पीठ की स्थापना का विचार

Sushil Mishra
Published on: 30 Jun 2025 11:00 PM IST
Balrampur News: माँ पाटेश्वरी विश्वविद्यालय, बलरामपुर में हिन्दी: अकादमिक नवाचार पर संगोष्ठी, सेवानिवृत्त शिक्षकों का सम्मान
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माँ पाटेश्वरी विश्वविद्यालय, बलरामपुर में "हिन्दी  (photo: social media )

Balrampur News: माँ पाटेश्वरी विश्वविद्यालय, बलरामपुर के सभागार में सोमवार को "हिन्दी: अकादमिक नवाचार - विश्वविद्यालयी प्रदेय" विषय पर एक विचार संगोष्ठी और सेवानिवृत्त शिक्षकों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम माँ पाटेश्वरी विश्वविद्यालय और श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज, गोंडा के संयुक्त तत्वावधान में हुआ।

संगोष्ठी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह ने की। उन्होंने सेवा-निवृत्ति प्राप्त कर रहे आचार्यों को शुभकामनाएँ और बधाई दीं। उन्होंने महात्मा बनादास को हिन्दी पाठ्यक्रम में सम्मिलित किए जाने पर विशेष हर्ष व्यक्त करते हुए भविष्य में महात्मा बनादास पीठ की स्थापना पर विचार करने की बात कही। कुलपति ने नाथ परंपरा और गुरु गोरखनाथ के अमूल्य योगदान का भी स्मरण किया।

अकादमिक नवाचार और नवीन पाठ्यक्रम

यह संगोष्ठी अकादमिक क्षेत्र में नवाचार और नवोन्मेषिता के संरक्षण और संवर्धन पर केंद्रित रही। प्राचार्य प्रो. रविन्द्र कुमार ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि विश्वविद्यालय भाषाई और साहित्यिक क्षेत्र में एक नवीन पहचान स्थापित करेगा। हिन्दी अध्ययन बोर्ड के संयोजक प्रो. शैलेन्द्र नाथ मिश्र ने उन्हें स्नातक और परास्नातक स्तर के हिन्दी पाठ्यक्रम की मूल संरचना भेंट की। इस नए पाठ्यक्रम में कौशल विकास, क्षमता संवर्धन, साहित्यिक चेतना, लोक साहित्य, आलोचनाशास्त्र, रचनात्मक कौशल, देवनागरी लिपि और भाषा प्रौद्योगिकी को प्रमुखता दी गई है।


विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. उपेन्द्र सोनी ने बताया कि स्नातक चतुर्थ वर्ष के पाठ्यक्रम में "हिन्दी की विचार सम्पदा", "अस्मिता विमर्श", "भारतीय साहित्य में राम", "हिन्दी साहित्य का इतिहास दर्शन", "हिन्दी का ज्ञान साहित्य", "डिजिटल हिन्दी एवं पत्रकारिता" और "साहित्य की प्रायोगिकी" जैसे प्रमुख विषय शामिल हैं। साथ ही, संपादकीय, भाषण और घोषणा जैसी नई विधाएँ भी पाठ्यक्रम में सम्मिलित की गई हैं। इसके अतिरिक्त, हनुमान चालीसा और शक्ति साहित्य को भी उप-विषयों के रूप में जोड़ा गया है, जो भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ते हैं।

सेवानिवृत्त शिक्षकों का सम्मान समारोह

इस अवसर पर श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज, गोंडा के छह आचार्यों के सेवा-निवृत्त होने पर उन्हें सम्मानित किया गया। इन सम्मानित सेवानिवृत्त आचार्यों में प्रो. शैलेन्द्र नाथ मिश्र (हिन्दी), प्रो. आर. बी. सिंह बघेल (रक्षा एवं स्ट्रैटेजिक अध्ययन), प्रो. शिव शरण शुक्ल (शिक्षा), प्रो. श्रवण कुमार श्रीवास्तव (प्राणी विज्ञान), प्रो. श्याम बहादुर सिंह (शिक्षक शिक्षा) और समाज शास्त्र के प्रो. राम समुझ सिंह शामिल रहे।


संगोष्ठी में सदस्य, कार्य परिषद सर्वेश सिंह, वाणिज्य संकाय अधिष्ठाता प्रो. बी. पी. सिंह, विज्ञान संकाय अधिष्ठाता प्रो. आर. के. सिंह, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. पी. के. सिंह, प्रो. गंगा प्रसाद शर्मा 'गुणशेखर', मीडिया प्रभारी डॉ. उपेन्द्र कुमार सोनी, मनीष शर्मा, अच्युत शुक्ला, डॉ. मनोज कुमार मिश्रा, डॉ. हरीश कुमार शुक्ला समेत अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन और संचालन प्रो. शैलेन्द्र नाथ मिश्र (संयोजक, हिन्दी अध्ययन बोर्ड) और प्रो. जयशंकर तिवारी ने किया।

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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