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Banda News: यमुना खतरे के निशान से 3 मीटर ऊपर, बांदा-बहराइच हाइवे का आवागमन ठप, 24 से अधिक गांवों का संपर्क कटा
Banda News: पूर्व राज्यसभा सांसद विशंभर निषाद ने कमिश्नर से मिलकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जल्द से जल्द राहत सामग्री और संसाधन पहुंचाने की अपील की है।
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Banda News: बांदा जिले में केन और यमुना नदी की बाढ़ से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक ही रात में जल स्तर में डेढ़ मीटर की बढ़ोतरी से 24 से अधिक गांवों में पानी भर गया है। चिल्ला-तारा के बीच नेशनल हाईवे और ललौली रोड पर पानी भरने के कारण कानपुर-बिंदकी-बांदा मार्ग का आवागमन पूरी तरह बंद कर दिया गया है।
इसी तरह, बांदा से बहराइच जाने वाले मार्ग पर भी पानी भरने से वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है। पूर्व राज्यसभा सांसद विशंभर निषाद ने कमिश्नर से मिलकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जल्द से जल्द राहत सामग्री और संसाधन पहुंचाने की अपील की है। प्रशासन ने बचाव और राहत कार्य शुरू कर दिया है और प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। वाहन चालकों को वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करने की सलाह दी है। उधर, यमुना नदी ने केन नदी का पानी लेना बंद कर दिया है, जिससे केन का जलस्तर भी तेजी से बढ़ने लगा है। हालांकि, फिलहाल यह खतरे के निशान से 2 मीटर नीचे है।
बाढ़ के कारण करीब 24 गांवों का संपर्क मार्ग पूरी तरह टूट चुका है और एक दर्जन से अधिक गांव डूबने की कगार पर हैं। इससे लोगों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन की ओर से अभी तक न तो नाव उपलब्ध कराई गई हैं और न ही कोई स्टीमर भेजा गया है। ग्रामीणों द्वारा निजी नावों का उपयोग किया जा रहा है।
एक गांव की महिला गंभीर रूप से बीमार हो गई, जिसे पास के गांव से मंगाई गई प्राइवेट नाव के जरिए अस्पताल पहुंचाया गया। ग्रामीण सरकार से सरकारी साधनों की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं।जल शक्ति मंत्री रामकेश निषाद, पूर्व राज्यसभा सांसद विशंभर निषाद, जिलाधिकारी जे. रिभा, एसडीएम पैलानी और अपर पुलिस अधीक्षक ने यमुना नदी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया और राहत कार्यों की समीक्षा की।
बाढ़ के कारण खेत जलमग्न हो गए हैं और सैकड़ों बीघा फसल नष्ट हो चुकी है। जसपुरा के किसानों ने बताया कि नांदादेव, भाटा, गोरी कला, अमरा सहित दर्जनों गांवों में अरहर, तिल और ज्वार की खड़ी फसलें पानी में समा गई हैं। किसानों ने प्रशासन से फसल के नुकसान के लिए मुआवजे की मांग की है।
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