Maya Kulshrestha: नवसृजित ऊर्जा का अतिशय तीव्र प्रवाह है माया का नृत्य

Kathak Dancer Maya Kulshrestha: माया जी केवल एक नृत्यांगना ही नहीं हैं बल्कि उससे भी बढ़कर वह ऐसी सृजनकार हैं जिनकी शब्द रचनाएं भी जैसे नृत्य ही प्रस्तुत करती हैं।

Sanjay Tiwari
Published on: 7 Jun 2025 3:48 PM IST
Kathak Dancer Maya Kulshrestha
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Kathak Dancer Maya Kulshrestha   (photo: social media )

Kathak Dancer Maya Kulshrestha: नवसृजित ऊर्जा का अतिशय तीव्र प्रवाह है कथक। यह केवल नृत्य नहीं है। यह वस्तुतः सृष्टि की वह प्रकृति है जिसमें वेग, गति, लय, ताल और छंद के सुर के साथ सृष्टि स्वयं उतरती है मंच पर। इसीलिए तो यह संपूर्ण कॉसमॉस को ही साक्षात् उपस्थित करने की क्षमता रखती है। साक्षात् नटराज की थिरकन ही रचती है जिसे। इसे केवल कुछ शब्द या अनुभव की संवेदना भी व्याख्यायित नहीं कर पाती। वस्तुतः नृत्य ही सृष्टि के सृजन की प्रस्तावना है।

ये उक्तियां हैं प्रख्यात नृत्यांगना माया कुलश्रेष्ठ की जो कथक के एक एक भाव और मुद्रा पर अद्भुत पकड़ रखती हैं। माया जी केवल एक नृत्यांगना ही नहीं हैं बल्कि उससे भी बढ़कर वह ऐसी सृजनकार हैं जिनकी शब्द रचनाएं भी जैसे नृत्य ही प्रस्तुत करती हैं। सृजन और संस्कृति का समवेत आंदोलन कह सकते हैं माया कुलश्रेष्ठ को। नृत्य की प्रतीतियों और प्रस्तुतियों के साथ साथ उत्कृष्ट कविताएं भी उनकी पहचान हैं। उसी गति से वह इस भारतीय सनातन संस्कृति को अपनी संस्था के माध्यम से और भी गतिशील बना रही हैं। भारतीय शास्त्रीय नृत्य परंपरा के आकाश का वह अद्भुत और युवा नक्षत्र हैं जिनकी धूम आज विश्व में गूंज रही है।

कत्थक नृत्य सीखने के प्रति रूचि कैसे हुई?

यह पूछने पर कि कत्थक नृत्य सीखने के प्रति आपकी रूचि कैसे हुई, माया बताती हैं कि माता-पिता की मेहनत और विश्वास के कारण जब मैं 3 साल की थी तो उनको यह विश्वास था कि भारतीय कला मेरे अंदर एक अच्छे जीवन जीने की ऊर्जा को संचालित करेगी। कोई भी नहीं जानता था कि भविष्य में मैं अपने जीवन को इसके साथ जोड़कर नेम फेम मनी जैसा कुछ अर्जित कर सकती हूं। वे निस्वार्थ भाव से मुझे सिखा रहे थे। वह याद करती हैं कि शायद मैं क्लास 3 में थी तब मैंने अपनी प्रथम प्रस्तुति दी थी, तो 7 से 8 साल की उम्र रही होगी मेरी। मेरे लिए वह अविसमरणीय पल था।

नृत्य कला के क्षेत्र में शैक्षणिक उपलब्धियों से संबंधित प्रश्न के उत्तर में वह कहती हैं कि मैंने कथक में खैरागढ़ यूनिवर्सिटी से विद किया और राजा मानसिंह तोमर से अपना एमए किया साथ ही साथ मैं कुछ कुछ रिसर्च करती रहती हूं क्योंकि मुझे लिखने का भी शौक है। मैं रिसर्च को कुछ न्यूजपेपर्स और मैग्जीन के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करती हूं।


गुरुओं द्वारा ली गई परीक्षा

यह पूछे जाने पर कि कत्थक नृत्य सीखने के लिए किन गुरुओं का आपको सानिध्य और आशिर्वाद मिला तथा नृत्य के प्रशिक्षण के दौरान गुरुओं द्वारा ली गई परीक्षा आपके लिए कितनी कठिन थी, माया जी बताती हैं कि मेरी प्रथम गुरु डॉक्टर अंजली बाबर रही जो कि पुणे की थी, उसके बाद मैंने खैरागढ़ यूनिवर्सिटी और राजा मानसिंह तोमर से अपनी शिक्षा ली। दिल्ली में कलाश्रम में मैनें सिख मैं अपने आप को भाग्यशाली मानती हूं कि मुझे कई ऐसे गुरुओं का भी मार्गदर्शन मिला जो की कथक में अपना उच्च स्थान रखते हैं।

एक प्रश्न के उत्तर में वह कहती हैं कि हर मंच जीवन का एक पाठ सीखने जैसा है क्योंकि जरूरी नहीं है की हर शो बहुत अच्छा जाए और उसका नाम हो। यह हर दिन जीने वाला पल है जिसमें कई बार ऐसा भी होता है कि आप बहुत मेहनत करके मंच पर गए हैं पर कहीं ना कहीं वह चीज सही रूप नहीं ले पाती। कई बार ऐसा भी होता है कि जब आपने बहुत कोशिश नहीं की और उसके बाद भी वह एक बहुत सफल मंच प्रदर्शन रहे। यह पूरी तरह से ईश्वर दर्शन और उस स्थान की ओर पर भी निर्भर करता है। पर एक बात कही जाती है कि शो मस्ट गो ऑन तो कुछ भी हो आपको परफॉर्म करना है और अपना हंड्रेड परसेंट देना है क्योंकि मैं भाव को अत्यधिक अपने करीब मानती हूं तो जब तक मैं ही महसूस नहीं करुंगी कि मेरे आराध्य मेरे श्री कृष्णा मेरे साथ में नृत्य कर रहे हैं मुझे देख रहे हैं तब तक मैं दर्शकों को वह रस निष्पत्ति करा ही नहीं सकती।


सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्राथमिकताएं

अंजना वेलफेयर सोसायटी की स्थापना के पीछे आपकी सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्राथमिकताएं क्या हैं, किन कार्यों पर सोसायटी का फोकस रहता है। इस प्रश्न के उत्तर में माया जी बताती हैं कि हमारी कोशिश है कि समाज के उस वर्ग के लिए काम किया जाए जिसे जरूरत है। जरूरत है, शिक्षा की, कला की, मंच की विभिन्न शहरों में कला महोत्सव का आयोजन हम करते है।

वह अपनी कला और सृजन को लेकर बहुत ही गंभीर हैं। मंच पर प्रस्तुति के दौरान विभिन्न मुद्राओं में बेहद ऊर्जावान रहती हैं। इतनी ऊर्जा आपने कहां से आती है, इसके जवाब में वह कहती हैं कि मंचीय प्रदर्शन में ऊर्जावान होना ही पड़ता है। हमारे पास रीटेक नहीं होता हम कुछ ठीक नहीं कर सकते जो हो गया वही हमारा है, भारतीय कला का मंच प्रदर्शन एक जिम्मेदारी है। कोशिश होती है कि हम गलती न करे। जो हो सकता है एक कलाकार को फिट और अच्छा दिखना भी जरूरी है ,सभी गुरु लोग सात्विक जीवन और सात्विक आहार की बात करते है वहीं तरीका है।


नए कलाकारो और गुरुजनों का एक मंच

सुरताल की विशेषताओं और उपलब्धियों के बारे में वह बताती हैं कि लगभग 14 वर्ष से यह मुहिम चल रही हैं। नए कलाकारो और गुरुजनों को एक मंच पर लाकर युवा और नई प्रतिभाओं को अधिक से अधिक सामने लाना हमारा उद्देश्य है और इसमें हमें बहुत सफलता भी मिल रही है।

एक प्रश्न के उत्तर में वह बताती हैं कि भारत में प्रतिभाओं की प्रचुरता है। नई पीढ़ी को चाहे कोई कुछ भी कहे लेकिन युवा पीढ़ी में एक बड़ा वर्ग है जो अपनी शास्त्रीय सांस्कृतिक विरासत से जुड़ कर बहुत कुछ करना चाहता है। यह हमारे लिए शुभ संकेत है।




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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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