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UP में ‘BJP’ का सियासी दांव! अखिलेश यादव की बढ़ेगी टेंशन, खतरे में पड़ेगी मायावती की ‘माया’
UP Politics: सियासी गलियारों में चर्चा अब यह है कि भाजपा उत्तर प्रदेश में सियासी दांव खेलने की रणनीति तैयार कर रही है।
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UP Politics: भारतीय जनता पार्टी के संगठन चुनाव ने रफ्तार पकड़ ली है। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को छोड़कर भाजपा ने इस सप्ताह लगभग आठ राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष के नाम तय कर लिये हैं। यूपी की सीमा से सटे नौ राज्यों में से छह में प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान हो चुका है। इन सभी राज्यों में गौर करने वाली बात यह रही कि छह राज्यों में से भाजपा ने तीन राज्यों में ओबीसी और तीन राज्यों में सामान्य वर्ग के नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष पद की कुर्सी सौंपी है। इन नेताओं के जरिए भाजपा ने सामाजिक समीकरण को साधने की कोशिश की है।
सियासी गलियारों में चर्चा अब यह है कि भाजपा उत्तर प्रदेश में सियासी दांव खेलने की रणनीति तैयार कर रही है। माना जा रहा है कि यूपी में प्रदेश अध्यक्ष की कमान किसी दलित नेता को सौंपा जा सकता है। दलित नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के पीछे वजह भी मजबूत है। भाजपा की यह रणनीति अखिलेश यादव के ‘पीडीए’ की हवा निकाल सकती है। सपा ‘पीडीए’ के दम पर ही दो सालों से चर्चा में हैं। वहीं भाजपा के इस दांव से बहुजन समाज पार्टी की मुसीबत भी बढ़ जाएगी।
भाजपा ने छह राज्यों में इस वर्ग को दी तवज्जो
भारतीय जनता पार्टी ने यूपी से सटे राज्यों में जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर प्रदेश अध्यक्ष की तैनाती की है। राजस्थान में मदन राठौर को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी है। वह ओबीसी समाज से ताल्लुक रखते हैं। इसी तरह बिहार में पार्टी ने संगठन की कमान दिलीप जायसवाल संभाल रहे हैं। वह ओबीसी समाज से ही आते हैं। वहीं वैश्य समुदाय से आने वाले हेमंत खंडेलवाल को बीजेपी ने मध्यप्रदेश का अध्यक्ष बनाया है।
उत्तराखंड में ब्राह्मण समुदाय से आने वाले महेंद्र भट्ट को जिम्मेदारी दी गयी है। वहीं हिमाचल प्रदेश की जिम्मेदारी वैश्य समाज के राजीव बिंदल के कंधों पर दी गयी है। छत्तीसगढ़ में भाजपा ने किरन सिंह देव प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। वह ओबीसी समाज से ताल्लुक रखती हैं। इस तरह अगर देखा जाए तो भाजपा ने यूपी के प्रदेश अध्यक्ष के नाम तय करने से पहले छह राज्यों में से तीन में ओबीसी और तीन में सवर्ण चेहरों पर दांव लगाया है। हालांकि अभी तक यूपी और पश्चिम बंगाल में प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान नहीं हुआ है।
दलित वोटर्स को पाले में लाने की रणनीति
भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में 2027 में होने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर रणनीति तैयार कर रही है। प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मंथन भी इस रणनीति का हिस्सा है। भाजपा यूपी में ऐसा प्रदेश अध्यक्ष तलाश रही है जो विपक्ष के मंसूबो पर पानी फेर सके। सपा के ‘पीडीए’ फॉमूले को ध्वस्त करने के साथ ही दलित वोटर्स को अपने पाले में लाने की भी भाजपा कोशिश कर रही है।
इस रणनीति के तहत ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा यूपी में संगठन की कमान दलित नेता के हाथ में सौंप सकती है। राज्य में ओबीसी वोटर्स के बाद सर्वाधिक दलित वोटर्स हैं। जिन्हें भाजपा किसी भी हालत में अपनी तरफ लाना चाह रही है। भाजपा दलित वोटर्स की मायावती से दूरी का लाभ भी उठाना चाह रही है। ऐसे में यह संभावना काफी तेज है कि यूपी में भाजपा किसी दलित नेता पर दांव लगा सकती है।
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