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यूपी में सरकारी स्कूलों के विलय पर आया मायावती का बड़ा बयान, गरीब विरोधी फैसला कह बीजेपी पर साधा निशाना

UP News: बसपा सुप्रीमो मायावती ने सरकारी स्कूलों के विलय पर कड़ा विरोध जाताते हुए सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है।

Sonal Verma
Published on: 2 July 2025 5:45 PM IST
Mayawati on UP School  Merger
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Mayawati on UP School Merger

UP News: उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा छात्रों की कम संख्या वाले स्कूलों को बंद कर अधिक संख्या वाले स्कूलों में मर्ज कर दिया गया है। जिस वजह से कई सरकारी स्कूलों में ताला लटक गया है। योगी सरकार के इस फैसले पर बसपा सुप्रीमो मायावती का बड़ा बयान सामने आया है। मायावती ने सरकारी स्कूलों के विलय का विरोध करते हुए इसे गरीब विरोधी फैसला करार दिया है। उन्होंने सरकार से इसे वापस लेने की अपील की है। उन्होंने ये भी कहा कि अगर बीजेपी सरकार ये फैसला वापस नहीं लेती है तो बसपा की सरकार आने पर ये फैसला निरस्त कर दिया जायेगा।

सोशल मीडिया एक्स पर किया पोस्ट

सरकारी स्कूलों के विलय का विरोध करते हुए उन्होंने एक्स पर कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद, "उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के युग्मन/एकीकरण की आड़ में बहुत सारे स्कूलों को बंद करने वाला जो फैसला लिया गया है, वह गरीबों के करोड़ों बच्चों को उनके घर के पास दी जाने वाली सुगम व सस्ती सरकारी शिक्षा व्यवस्था के प्रति न्याय नहीं, बल्कि पहली नजर में ही स्पष्ट तौर पर यह अनुचित, गैर-जरूरी एवं गरीब-विरोधी प्रतीत होता है।"


उन्होंने आगे कहा कि, "सरकार से अपील है कि वह अपना युग्मन/एकीकरण का यह फैसला गरीब छात्र-छात्राओं के व्यापक हित में तुरन्त वापस ले। यदि सरकार अपना यह फैसला वापस नहीं लेती है तो फिर हमारी पार्टी इनके सभी माता-पिता व अभिभावकों को यह विश्वास दिलाना चाहती है कि हमारी पार्टी बसपा की सरकार बनने पर फिर इस फैसले को रद्द करके पुनः प्रदेश में पुरानी व्यवस्था बहाल करेगी। वैसे उम्मीद है कि यूपी सरकार गरीबों व आमजन की शिक्षा के व्यापक हित के मद्देनजर अपने इस फैसले को बदलने के बारे में जरूर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी।"

क्या कहते हैं सरकारी स्कूलों के आंकड़े

उत्तर प्रदेश के 5695 सरकारी स्कूल महज एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में वर्ष 2025-26 के लिये पिछले दिनों आयोजित प्रोजेक्ट अप्रूबल बोर्ड की बैठक में यूपी के अफसरों की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट में ये तथ्य सामने आया हैं। रिपोर्ट के मुताबिक शैक्षणिक सत्र 2023-24 में यूपी के 2586 परिषदीय प्राथमिक और 3109 उच्च प्राथमिक स्कूलों में केवल एक-एक शिक्षक ही कार्यरत थे। इसी प्रकार 30 से कम नामांकन वाले स्कूलों की संख्या भी काफी अधिक रही। 2023-24 में 7037 प्राथमिक और 1859 उच्च प्राथमिक स्कूलों में 30 से कम बच्चे अध्यनरत थे।

स्कूल मर्जर के फैसले से भविष्य में क्या हो सकती हैं समस्याएं?

- सरकारी स्कूलों की संख्या कम होगी जिससे निजी स्कूलों की संख्या और मनमानी और बढ़ेगी।

- शिक्षकों की भर्ती और प्रमोशन पर प्रभावित होगा

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