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Chandauli News: चंदौली: वन विभाग में महिला उत्पीड़न के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना 22 जुलाई से
Chandauli News: न्यूनतम वेतन/दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश उपाध्यक्ष सीमा कुमारी के नेतृत्व में, 22 जुलाई से चकिया रेंज कार्यालय परिसर में अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा।
चंदौली: वन विभाग में महिला उत्पीड़न के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना 22 जुलाई से (Photo- Newstrack)
Chandauli News: चंदौली, उत्तर प्रदेश: चंदौली जनपद के चकिया रेंज में वन विभाग के भीतर महिला कर्मचारियों के साथ हो रहे अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ अब एक बड़ा आंदोलन शुरू होने वाला है। न्यूनतम वेतन/दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश उपाध्यक्ष सीमा कुमारी के नेतृत्व में, 22 जुलाई से चकिया रेंज कार्यालय परिसर में अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा।
वंदना चौहान की सेवा बहाली को लेकर कर्मचारियों ने की मांग
इस धरने का मुख्य मुद्दा वंदना चौहान की सेवा बहाली है। वंदना, अपने दिवंगत पति संजय चौहान की जगह वर्ष 2022 से चकिया रेंज में कार्यरत थीं। संजय चौहान 2006 से 2022 तक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में सेवा में रहे थे और बीमारी के कारण उनके निधन के बाद मानवीय आधार पर वंदना को सेवा में लिया गया था। हालांकि, एक सप्ताह पहले उन्हें अचानक सेवा से हटा दिया गया, जिससे कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है।
सीमा कुमारी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जब तक वंदना चौहान और अन्य निष्कासित कर्मचारियों को फिर से काम पर नहीं रखा जाता, तब तक यह धरना जारी रहेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि यह घटना महिला उत्पीड़न का प्रतीक है और संघ इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा।
पूरे मामले की जिम्मेदारी वन विभाग की
इस संबंध में, प्रदेश उपाध्यक्ष ने 14 जुलाई को संघ के प्रदेश अध्यक्ष, जिलाधिकारी, प्रभागीय वनाधिकारी, चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष और चकिया के क्षेत्रीय वन अधिकारी को एक पत्र सौंपा था। इस पत्र में चेतावनी दी गई थी कि यदि एक सप्ताह के भीतर निष्कासित कर्मचारियों को वापस नहीं लिया गया, तो 22 जुलाई से अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जाएगा, और इस पूरे मामले की जिम्मेदारी वन विभाग की होगी।
इस अनिश्चितकालीन धरने में संघ के अन्य पदाधिकारी और कर्मचारी भी बड़ी संख्या में भाग लेंगे, जिससे इस आंदोलन के और अधिक प्रभावशाली होने की संभावना है। प्रदेश उपाध्यक्ष का कहना है कि यह केवल एक कर्मचारी की लड़ाई नहीं है, बल्कि सभी दैनिक भोगी कर्मचारियों के अधिकारों की लड़ाई है, और वे न्याय मिलने तक पीछे नहीं हटेंगे।
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