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Chandauli News: रिश्वत लेते कैमरे में कैद हुआ लेखपाल, ग्रामीणों ने उठाई सख्त कार्रवाई की मांग
Chandauli News: चंदौली की चकिया तहसील से एक लेखपाल रिश्वत लेते कैमरे में कैद हुआ। ग्रामीणों ने प्रशासन से भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की है।
Chandauli News: उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले की चकिया तहसील से भ्रष्टाचार का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक लेखपाल को कथित तौर पर खुलेआम रिश्वत (घूस) लेते हुए कैमरे पर कैद कर लिया गया, जिसका वीडियो इस समय सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है। वीडियो में लेखपाल की बातचीत और हाव-भाव से स्पष्ट होता है कि सरकारी काम करवाने के लिए किस तरह लोगों से पैसे की मांग की जा रही है।
इस वीडियो को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। उनका आरोप है कि तहसील प्रशासन की मिलीभगत के कारण ही ऐसे भ्रष्ट कर्मचारी मनमानी कर रहे हैं और काम के लिए लोगों को बार-बार चक्कर लगवाने के साथ-साथ खुलेआम घूस मांगते हैं। ग्रामीण अब प्रशासन से इस वायरल वीडियो को सबूत मानते हुए भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत तत्काल सख्त कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।
वायरल वीडियो में क्या है?
वायरल हो रहे इस वीडियो में कथित लेखपाल को एक व्यक्ति से रिश्वत लेते हुए सुना जा सकता है। वीडियो में लेखपाल यह कहते हुए साफ सुनाई दे रहे हैं कि "काम के बदले 1500 रुपये में बात हुई थी, लेकिन आप सिर्फ 1200 रुपये दे रहे हैं।" इस बातचीत से पता चलता है कि तहसील में जमीन के अंश निर्धारण (बंटवारे) जैसे संवेदनशील कार्यों के लिए भी रकम तय करना एक मजबूरी बन चुका है। इतना ही नहीं, कम पैसे मिलने पर लेखपाल ने सामने वाले व्यक्ति को "गाँव का ब्रोकर" तक कहकर ताना मारा।
ग्रामीणों के आरोप और मांग
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह वीडियो लेखपाल की घूसखोरी का सीधा प्रमाण है। उनका आरोप है कि यदि कोई व्यक्ति पैसे नहीं देता है या पूरी रकम नहीं दे पाता है, तो उसे बार-बार तहसील के चक्कर लगवाए जाते हैं, जिससे उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है।ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन इस वीडियो को गंभीरता से ले और तत्काल लेखपाल को निलंबित करे। साथ ही, भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत प्राथमिकी (FIR) दर्ज की जाए और मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक स्वतंत्र जांच आयोग का गठन किया जाए।
प्रशासन पर सवाल
यह पूरा मामला अब प्रशासन के लिए एक बड़ी परीक्षा बन गया है। ग्रामीणों ने सवाल उठाया है कि क्या वायरल वीडियो को सबूत मानते हुए प्रशासन सख्त कदम उठाएगा और भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में मिसाल पेश करेगा, या फिर हमेशा की तरह संरक्षण की परंपरा के चलते इस मामले को भी दबा दिया जाएगा।
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