Chandauli News: भारतमाला परियोजना पर किसानों का विरोध, बाढ़ क्षेत्र में पुनः सर्वे के आदेश

Chandauli News: डीएम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए दोबारा सर्वे कराने का आदेश दिया है। इसके लिए एक तकनीकी टीम का गठन भी किया गया है।

Ashvini Mishra
Published on: 29 May 2025 10:24 PM IST
Farmers protest over Bharatmala project, re-survey order in flood zone
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भारतमाला परियोजना पर किसानों का विरोध, बाढ़ क्षेत्र में पुनः सर्वे के आदेश (Photo- Social Media)

Chandauli News: चंदौली जिले में भारतमाला परियोजना के अंतर्गत वाराणसी रांची कोलकाता एक्सप्रेश वे बनने वाली सड़क को लेकर भारी विवाद खड़ा हो गया है। किसानों का आरोप है कि बिना पर्याप्त स्थलीय सर्वे के ही परियोजना को आगे बढ़ाया गया, जिससे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सड़क निर्माण किसानों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

इस मुद्दे पर स्थानीय किसानों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया, जिसके चलते प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को हस्तक्षेप करना पड़ा। किसानों की मांग पर राज्यसभा सांसद साधना सिंह और पूर्व जिलाध्यक्ष राणा सिंह सहित अन्य भाजपा नेताओं ने संबंधित अधिकारियों से वार्ता की और परियोजना की खामियों को उजागर किया। बातचीत के दौरान यह सामने आया कि कई गांवों में बाढ़ के पानी का असर सड़क निर्माण क्षेत्र पर पड़ सकता है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए दोबारा सर्वे कराने का आदेश

डीएम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए दोबारा सर्वे कराने का आदेश दिया है। इसके लिए एक तकनीकी टीम का गठन भी किया गया है, जो जमीन की ऊंचाई, जल निकासी और अन्य भौगोलिक पहलुओं का अध्ययन करेगी ताकि सड़क निर्माण से किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न न हो।

यह मामला अब केंद्रीय स्तर तक पहुंच गया है। भाजपा नेताओं ने केंद्रीय परिवहन मंत्री से मिलने की योजना बनाई है ताकि किसानों की समस्याओं और परियोजना में संभावित खतरों से उन्हें अवगत कराया जा सके।

चंदौली के सड़क गुजरने वाले क्षेत्र के लगभग तीन दर्जन गांवों के करीब 12 हजार एकड़ जमीन दो नदियों के बाढ़ के पानी से हर साल प्रभावित होती है। इनमें गोंड़ारी गांव से लेकर बहेरा गांव तक का करीब साढ़े तीन किलोमीटर क्षेत्र सबसे अधिक संवेदनशील माना जा रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र में पिलर पर सड़क का निर्माण यहां के किसानों के लिए जरूरी है।

अब सभी की निगाहें तकनीकी टीम की रिपोर्ट और आगे की कार्यवाही पर टिकी हैं। किसान चाहते हैं कि विकास हो, लेकिन उनके जीवन और आजीविका की कीमत पर नहीं।

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