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Chandauli News: शिक्षा के मंदिर में मूलभूत सुविधा का अभावः शौचालय के लिए तरसते नौनिहाल
Chandauli News: विद्यालय में बच्चों को ज्ञान का प्रकाश देने के लिए पांच अध्यापक और एक शिक्षा मित्र कार्यरत हैं। शिक्षक पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं, लेकिन मूलभूत सुविधा के अभाव में विद्यालय की व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लग रहा है।
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Chandauli News: जिले के नौगढ़ तहसील क्षेत्र के मझगावां गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र-छात्राओं को आज भी शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। विद्यालय में कुल 105 विद्यार्थी हैं, जिनमें 54 लड़के और 51 लड़कियां शामिल हैं। इतनी बड़ी संख्या में बच्चों के बावजूद, विद्यालय में एक भी शौचालय उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण उन्हें खुले में शौच करने के लिए विवश होना पड़ रहा है।
शिक्षक हैं, सुविधा नदारद
विद्यालय में बच्चों को ज्ञान का प्रकाश देने के लिए पांच अध्यापक और एक शिक्षा मित्र कार्यरत हैं। शिक्षक पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं, लेकिन मूलभूत सुविधा के अभाव में विद्यालय की व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लग रहा है। छात्रों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है, जिससे उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा दोनों पर खतरा मंडराता रहता है।
योजनाओं का लाभ कागजों तक सीमित?
सरकार द्वारा विद्यालयों में शौचालय निर्माण के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं और बजट भी आवंटित किया जाता है। हालांकि, मझगावां के प्राथमिक विद्यालय की स्थिति देखकर ऐसा लगता है कि सरकारी योजनाओं का लाभ या तो विद्यालय तक पहुंच नहीं रहा है या फिर कहीं और उपयोग हो रहा है। यह स्थिति सरकारी मंशा पर भी सवाल खड़ा करती है। दिव्यांग छात्रों के लिए शौचालय की उपलब्धता तो दूर की बात है, सामान्य शौचालय भी यहां नसीब नहीं है।
जिम्मेदार कौन? अधिकारियों का टालमटोल
जब इस गंभीर समस्या के बारे में अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई, तो उनका रवैया निराशाजनक रहा। खण्ड शिक्षा अधिकारी लालमणि कन्नौजिया ने इस विषय पर खंड विकास अधिकारी से बात करने की बात कही, जबकि खंड विकास अधिकारी अमित कुमार ने “देखकर बताएंगे“ कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया। दोनों अधिकारियों का इस तरह से जिम्मेदारी से बचना यह दर्शाता है कि वे इस समस्या के प्रति कितने लापरवाह हैं।
ग्रामीणों में आक्रोश, जांच की मांग
आजादी के 78 वर्ष बीत जाने के बाद भी स्कूली बच्चों को खुले में शौच के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। उन्होंने इस मामले की गहन जांच की मांग की है ताकि पता चल सके कि सरकारी धन कहां खर्च हो रहा है और क्यों बच्चों को आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। छात्रों के स्वास्थ्य और भविष्य को ध्यान में रखते हुए, इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान निकालना बेहद जरूरी है।
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