Chandauli News: ग्रीष्मावकाश में शिक्षा का उजियारा या कागजी खानापूर्ति? चंदौली में समर कैंप पर उठे सवाल

Chandauli News: समर कैंप 21 मई से शुरू होकर 10 जून तक चलेगा और इसका आयोजन उच्च प्राथमिक तथा कंपोजिट विद्यालयों में सुबह 7 बजे से 10 बजे तक किया जाएगा। इसमें कक्षा 6, 7 और 8 के विद्यार्थी हिस्सा लेंगे।

Sunil Kumar
Published on: 21 May 2025 3:25 PM IST
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चंदौली में समर कैंप पर उठे सवाल   (photo: social media )

Chandauli News: चंदौली जिले समेत पूरे उत्तर प्रदेश में आज से ग्रीष्मावकाश के दौरान समर कैंप का आगाज हो चुका है। इस तीन सप्ताह के विशेष शैक्षणिक कार्यक्रम की जिम्मेदारी शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों को सौंपी गई है, जिन्हें इस दौरान वालंटियर का पदनाम दिया गया है। हालांकि, इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी से पहले इन वालंटियर्स को किसी भी प्रकार का प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। ऐसे में, बिना तैयारी के शुरू हुए इस समर कैंप की सफलता पर सवाल उठना लाजमी है।

तीन सप्ताह का कैंप, आकर्षक पाठ्यक्रम का दावा

यह समर कैंप 21 मई से शुरू होकर 10 जून तक चलेगा और इसका आयोजन उच्च प्राथमिक तथा कंपोजिट विद्यालयों में सुबह 7 बजे से 10 बजे तक किया जाएगा। इसमें कक्षा 6, 7 और 8 के विद्यार्थी हिस्सा लेंगे। प्रत्येक विद्यालय में दो वालंटियर तैनात किए जाएंगे, जिन्हें 6 हजार रुपये मानदेय, 2 हजार रुपये स्टेशनरी और प्रति बच्चा 5 रुपये पूरक पोषण के लिए दिए जाएंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2025 के अनुरूप इस कैंप का उद्देश्य समझ, आनंददायी और अनुभवात्मक शिक्षण को बढ़ावा देना है। पहले सप्ताह योग, सांस्कृतिक विरासत और डिजिटल कौशल विकास, दूसरे सप्ताह पर्यावरण विज्ञान और रचनात्मक गतिविधियां, जबकि तीसरे सप्ताह राष्ट्रीय एकता, जल संरक्षण और रचनात्मक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

पहले दिन ही खुली पोल, निगरानी की कमी उजागर

लेकिन, कैंप के पहले दिन ही चंदौली जिले के नौगढ़ तहसील क्षेत्र के अधिकांश विद्यालयों में छात्रों की नदारदगी देखने को मिली। कई जगह सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर कार्यक्रम की इतिश्री कर दी गई। हैरानी की बात यह है कि सामान्य दिनों में ग्रीष्मावकाश से पहले विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति कम ही रहती थी, तो ऐसे में इस कैंप में उनकी उपस्थिति कैसे सुनिश्चित होगी? ऑनलाइन समूहों में समर कैंप की तस्वीरें तो भेज दी गईं, लेकिन जमीनी स्तर पर इसकी कोई प्रभावी निगरानी नहीं की जा रही है। यह स्थिति निश्चित रूप से कार्यक्रम की गुणवत्ता पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है। क्या यह समर कैंप वास्तव में छात्रों के लिए शिक्षा का उजियारा बनेगा या सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाएगा? यह देखना होगा।

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Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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