Chitrakoot News: आदिवासी परिवार के 'आउट ऑफ स्कूल' के चार बच्चों का कराया गया दाखिला, असलहा फंड से दी पांच हजार की आर्थिक सहायता

Chitrakoot News: बीएसए बीके शर्मा ने बताया कि 15 अगस्त को परिवार के लौटने की जानकारी मिलने पर शिक्षक उसके घर पहुंचे और बच्चों को पड़ोस में संचालित कंपोजिट विद्यालय टिकरिया में प्रवेश कराया।

Sunil Shukla (Chitrakoot)
Published on: 19 Aug 2025 3:55 PM IST
Four children from out of school tribal families enrolled in composite school
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आदिवासी परिवार के 'आउट ऑफ स्कूल' के चार बच्चों का कंपोजिट विद्यालय में दाखिला कराया गया (Photo- Newstrack)

Chitrakoot News: चित्रकूट। पिछले आठ साल से रोजी-रोटी के लिए बाहर रह रहे आदिवासी परिवार के वापस गांव लौटने पर चार बच्चों का कंपोजिट विद्यालय में दाखिला कराया गया है। यह सभी बच्चे आउट ऑफ स्कूल के तौर पर चिन्हित किए गए थे। डीएम ने परिवार को पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता असलहा फंड से उपलब्ध कराई है।

ये है पूरा मामला

मानिकपुर ब्लाक क्षेत्र के टिकरिया गांव के मजरा मनगवां निवासी रमेश अपनी पत्नी उर्मिला तथा पांच बच्चों 12 वर्षीय कुंदन, 10 वर्षीया शिवानी, आठ वर्षीय शिवमूरत, तीन वर्षीय तेजबली व पांच माह के मासूम मोहब्बत के साथ पिछले आठ साल से कटनी में रोजी-रोटी के लिए रहता रहा हैं। यह परिवार अभी 15 दिन पूर्व अपना गांव वापस लौटा है। इसके बाद रमेश अपनी ससुराल चला गया था। बीएसए बीके शर्मा ने बताया कि 15 अगस्त को परिवार के लौटने की जानकारी मिलने पर शिक्षक उसके घर पहुंचे और बच्चों को पड़ोस में संचालित कंपोजिट विद्यालय टिकरिया में प्रवेश कराया।

बेसिक शिक्षा विभाग से पूर्व में कराए गए हाउस होल्ड सर्वे के समय गांव में रहने वाली रमेश की मां ने जानकारी दी थी कि उसका बेटा और बहू बच्चों के साथ कटनी में आठ साल से रह रहा है। बेटे व बहू के पूरे परिवार के साथ बाहर रहने की वजह से बच्चों का स्कूल में प्रवेश नहीं हुआ है। अध्यापकों के टीम ने रमेश व उसकी पत्नी को बुलाकर उसके बच्चों का स्कूल में आयु संगत कक्षाओं में दाखिला कराया।

परिवार को आर्थिक सहायता भी दिया गया

विभाग की तरफ से कॉपी, किताब के अतिरिक्त अन्य जो भी लाभ दिए जा सकते हैं, उसकी प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। मंगलवार को डीएम शिवशरणप्पा जीएन ने कलेक्ट्रेट में पूरे परिवार को बुलाया और तत्काल आर्थिक सहायता के तौर पर असलहा फंड से पांच हजार की धनराशि छोटी बच्ची के नाम दिया गया। इसके बाद पूरे परिवार को निजी वाहन से एसडीएम मानिकपुर के पास भेजा गया। एसडीएम को निर्देश दिए कि परिवार के रहने को आवास और नियमित रूप से भोजन की उपलब्धता के लिए राशनकार्ड व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराएं।

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