Kanpur Dehat News: उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत: कानपुर देहात के चिराना गांव का प्राथमिक विद्यालय

Kanpur Dehat News: उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की जमीनी हकीकत जानने के लिए हमारी टीम कानपुर देहात के सरवनखेड़ा ब्लॉक स्थित चिराना गांव के प्राथमिक विद्यालय पहुंची।

Manoj Singh
Published on: 31 July 2025 8:10 AM IST (Updated on: 31 July 2025 8:43 AM IST)
Kanpur Dehat News: उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत: कानपुर देहात के चिराना गांव का प्राथमिक विद्यालय
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Kanpur Dehat primary school

Kanpur Dehat News: राजस्थान के एक सरकारी स्कूल में हुए हादसे ने देश की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इसी कड़ी में, उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की जमीनी हकीकत जानने के लिए हमारी टीम कानपुर देहात के सरवनखेड़ा ब्लॉक स्थित चिराना गांव के प्राथमिक विद्यालय पहुंची। इस स्कूल की स्थापना 1987 में हुई थी, लेकिन आज इसकी इमारत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है।

स्कूल की स्थिति और बच्चों का डर

यहां 172 बच्चे पंजीकृत हैं। हमारी टीम जब स्कूल पहुंची, तो बच्चे पढ़ाई में व्यस्त थे। ये बच्चे बेहद समझदार और होशियार हैं, लेकिन उनके चेहरों पर एक डर साफ झलक रहा था—कहीं कक्षा की छत उनके ऊपर न गिर जाए।

बच्चों ने बताया कि उनकी शिक्षिकाओं ने कई बार अधिकारियों को पत्र लिखे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। स्कूल की एक पूर्व शिक्षिका, जो अब सेवानिवृत्त हो चुकी हैं, ने भी जर्जर भवन को लेकर बार-बार शिकायत की थी। वर्तमान प्रधानाध्यापिका ने भी जिम्मेदार अधिकारियों को स्थिति से अवगत कराया, लेकिन उनका कहना है, “हम एक हद तक ही आवाज उठा सकते हैं। उसके बाद हमारी आवाज दबा दी जाती है।” वे यह भी बताती हैं कि उनके पत्र अक्सर “कूड़ेदान की शोभा” बन जाते हैं।

जर्जर भवन का भयावह सच

तस्वीरों में साफ दिखता है कि कक्षा की छत पूरी तरह जर्जर है। छत की सरिया बाहर निकल आई है, और बारिश में पानी टपकता रहता है। एक कक्षा की हालत इतनी खराब है कि शिक्षकों को बच्चों को बरामदे में बैठाकर पढ़ाना पड़ता है।

कानपुर देहात में यह अकेला स्कूल नहीं है। जिले में कई सरकारी स्कूलों की इमारतें खस्ताहाल हैं। कई जगह शिक्षक बच्चों को स्कूल के बाहर बैठाकर पढ़ाने को मजबूर हैं, क्योंकि भवनों की स्थिति खतरनाक हो चुकी है।

जिम्मेदार कौन?

जब हमने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अजय मिश्रा से बात की, तो उन्होंने शुरू में दावा किया कि जिले में कोई भी स्कूल जर्जर हालत में नहीं है। लेकिन जब उन्हें तस्वीरें दिखाई गईं, तो वे हैरान रह गए और तुरंत खंड शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि वे मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लें और बच्चों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करें।

आगे क्या?

अब सवाल यह है कि क्या बेसिक शिक्षा अधिकारी की यह कार्रवाई केवल इस एक स्कूल तक सीमित रहेगी, या वे जिले के अन्य जर्जर स्कूलों की भी सुध लेंगे? यह स्थिति न केवल कानपुर देहात, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

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Shalini Rai

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