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हादसे को दावत दे रहा कॉलेज, छात्राएं जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर, राजस्थान की घटना से नहीं चेत रहे जिम्मेदार
School in Lucknow: राजस्थान में हाल ही में एक स्कूल की इमारत गिरने से हुए दर्दनाक हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग ने इससे कोई सबक नहीं लिया है। राजधानी लखनऊ में बच्चें जर्जर भवन में बैठकर पढ़ने को मजबूर है।
Chutki Bhandar Girls Inter College lucknow (Photo: Newstrack)
School in Lucknow: राजस्थान में हाल ही में एक स्कूल की बिल्डिंग गिरने से हुए दर्दनाक हादसे के बावजूद सरकार सबक नहीं ले पाई है। लखनऊ के हुसैनगंज स्थित चुटकी भंडार गर्ल्स इंटर कॉलेज की जर्जर हालत देखकर कहा जा सकता है कि जिम्मेदारों की आंखें अभी बंद हैं। कॉलेज की छत जगह-जगह से टूटी हैं, दीवारों में दरारें साफ नजर आती हैं, किसी भी वक्त पूरी बिल्डिंग बड़े हादसे को दावत देती दिखाई दे रही है। वहीं स्कूल की प्रधानाचार्या ने हाल ही में मरम्मत कराए जाने का दावा कर रही है।
कक्षा में जान हथेली पर रख बैठते बच्चें
चुटकी भंडार गर्ल्स इंटर कॉलेज की इमारत की हालत इतनी खराब है कि बच्चे प्रतिदिन जान हथेली पर रखकर कक्षाओं में बैठते हैं। बरसात के मौसम में छतों से टपकता पानी, उखड़ी हुई प्लास्टर की परतें और दीवारों में गहरी दरारें, टूटे खिड़की, दरवाजे खतरे की ओर साफ इशारा कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार स्कूल की हालत को लेकर शिकायतें की गईं, लेकिन शिक्षा विभाग और प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। सबसे चौंकाने वाला दावा कॉलेज की प्रधानाचार्या कर रही है। उनके अनुसार हाल ही में कॉलेज में मरम्मत कार्य कराया गया है।
अभिभावकों में भवन को लेकर हैं रोष
कॉलेज प्रधानाचार्या कहीं बातें अगर सच है, तो मरम्मत की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। कॉलेज की हालत देखकर तो लगता है जैसे वर्षों से देखभाल ही नहीं हो रही है। न सिर्फ भवन की स्थिति खराब है, बल्कि कक्षाओं में बिजली की समुचित व्यवस्था नहीं है। इस स्थिति को लेकर अभिभावकों में गहरा रोष है। एक अभिभावक नाम न छापने की शर्त पर कहती हैं, हम अपने बच्चों को पढ़ने भेजते हैं, लेकिन रोज़ डर रहता है कि कहीं इमारत का कोई हिस्सा गिर न जाए। अगर कोई हादसा हुआ तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?
कॉलेज भवन संवेदनहीनता का उदाहरण
इसपर सामाजिक कार्यकर्ता दीपक कबीर ने कहा कि यह पूरी तरह से प्रशासनिक लापरवाही और संवेदनहीनता का उदाहरण है। इस पूरे मामले ने यूपी सरकार के शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। सरकार भले ही बेहतर शिक्षा व्यवस्था और इंफ्रास्ट्रक्चर के दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। फिलहाल यह कॉलेज एक ‘टाइम बम’ की तरह है, जो कब फट पड़े, कोई नहीं जानता है। इस बात की जरूरत है कि सरकार और प्रशासन तुरंत कार्रवाई करें। इससे पहले कि कोई मासूम बच्चा इसकी चपेट में आ जाए।
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