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गोंडा में बाल श्रम उन्मूलन पर मंडलीय कार्यशाला सम्पन्न, पुनर्वासित बालकों की स्थिति पर चर्चा
Gonda News: बाल श्रम उन्मूलन पर गोंडा मंडल कार्यशाला, बालकों के पुनर्वास पर विशेष जोर
Gonda News: राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप प्रदेश को वर्ष 2027 तक बाल श्रम मुक्त करने के संकल्प के तहत आयुक्त, देवीपाटन मंडल गोंडा शशि भूषण लाल सुशील के नेतृत्व में श्रम विभाग द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से मंडलीय बाल श्रम उन्मूलन कार्यशाला का आयोजन किया गया।कार्यशाला में मंडलायुक्त ने अधिकारियों से कहा कि भारत-नेपाल सीमा पर बाल श्रम और तस्करी के मुद्दे को एसएसबी एवं अन्य हितधारकों के साथ गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने बाल श्रमिकों के पुनर्वास को प्राथमिकता देने तथा उन्हें शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और आरटीई से संबंधित योजनाओं से जोड़ने पर बल दिया।
मंडलायुक्त ने मुक्त कराए गए बाल श्रमिकों की सफलता दर को समझने का भी सुझाव दिया। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को कार्यशाला से प्राप्त मुख्य कार्यान्वयन योग्य बिंदुओं का दस्तावेजीकरण करने के साथ-साथ बाल श्रम रेस्क्यू प्रणाली के लिए एक मजबूत डेटा प्रबंधन और एमआईएस विकसित करने के निर्देश दिए, जिसकी समीक्षा आयुक्त कार्यालय द्वारा की जाएगी।
दौरान, बलरामपुर के मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु गुप्ता ने जिले में प्रायोजन योजना, मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना और विधवा पेंशन जैसी विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बेहतर कवरेज का केस स्टडी प्रस्तुत किया। उन्होंने श्रम, महिला कल्याण, पुलिस, बाल कल्याण समिति, गैर सरकारी संगठनों सहित अन्य हितधारकों को शामिल करते हुए बाल श्रमिकों के संयुक्त बचाव अभियानों की योजना बनाने का सुझाव दिया।
डॉ. हेलेन आर. सेकर, पूर्व वरिष्ठ फेलो, वीवी गिरी राष्ट्रीय श्रम संस्थान, ने कार्यशाला के दौरान बाल श्रम से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों एवं उद्योगों जैसे पीतल, ताला, कालीन, कांच कारखानों में बाल श्रम की व्यापक उपस्थिति का विस्तृत विवरण दिया। साथ ही बाल श्रम के आंकड़ों, प्रवृत्तियों और बाल श्रम के खिलाफ संवैधानिक एवं कानूनी ढांचे पर प्रकाश डाला।
डॉ. हेलेन ने बताया कि बाल श्रम से मुक्ति एक बच्चे का मौलिक मानवाधिकार है, जो भारतीय संविधान और अंतरराष्ट्रीय संधियों में निहित है।श्रम विभाग के राज्य संसाधन प्रकोष्ठ के सैयद रिजवान अली ने बाल और किशोर श्रम अधिनियम 2016 के प्रभावी कार्यान्वयन और 2027 तक बाल श्रम मुक्त यूपी के लक्ष्यों को प्राप्त करने में संबंधित विभागों की भूमिका तथा राज्य कार्य योजना की मुख्य विशेषताएं प्रस्तुत कीं।
यूनिसेफ लखनऊ ऑफिस के बाल संरक्षण अधिकारी दिनेश कुमार ने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा बाल श्रम पर हाल ही में जारी वैश्विक अनुमानों को साझा किया। 2024 के नवीनतम वैश्विक आंकड़ों के अनुसार लगभग 138 मिलियन बच्चे (59 मिलियन लड़कियाँ और 78 मिलियन लड़के) बाल श्रम में लगे हैं, जो विश्व के सभी बच्चों का लगभग 8% है, जिनमें से 54 मिलियन बच्चे खतरनाक कार्यों में लगे हैं।
कार्यशाला में जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा समूह कार्य के माध्यम से बाल श्रम की प्रकृति, चुनौतियाँ, रोकथाम, बचाव, पुनर्वास और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के विभिन्न आयामों पर चर्चा के निष्कर्ष मंडलायुक्त के समक्ष प्रस्तुत किए गए।कार्यशाला में गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती व बलरामपुर के शिक्षा, महिला कल्याण, श्रम, पुलिस, स्वास्थ्य, समाज कल्याण, कौशल विकास, अल्पसंख्यक कल्याण, ग्रामीण विकास, बाल कल्याण समिति, जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू), चाइल्ड हेल्पलाइन (सीएचएल) और मानव तस्करी विरोधी इकाइयों (एएचटीयू) के सदस्य उपस्थित थे।
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