Gonda news : गोंडा में पहाड़ापुर स्थित गाटा संख्या 927 में आवास आवंटन में अनियमितता,जांच और कार्रवाई की उठी मांग

Gonda News: यूपी में गोंडा जनपद अन्तर्गत कर्नलगंज तहसील अंतर्गत ग्राम एवं परगना पहाड़ापुर स्थित गाटा संख्या 927 की भूमि पर किए गए आवास आवंटनों में गंभीर अनियमितताओं के आरोप सामने आये हैं।

Radheshyam Mishra
Published on: 14 May 2025 6:06 PM IST
Gonda news in hindi
X

Irregularities Housing Allocation Gata 927 Pahadapur Investigation Demand (social media)

Gonda News: यूपी में गोंडा जनपद अन्तर्गत कर्नलगंज तहसील अंतर्गत ग्राम एवं परगना पहाड़ापुर स्थित गाटा संख्या 927 की भूमि पर किए गए आवास आवंटनों में गंभीर अनियमितताओं के आरोप सामने आये हैं। इस संबंध में दीप नारायण श्रीवास्तव पुत्र जगदीश प्रसाद श्रीवास्तव प्रमोद कुमार पुत्र केशव प्रसाद राजेंद्र कुमार पुत्र ज्वाला प्रसाद व गांव के लगभग एक दर्जन लोगों ने आरोप लगाते हुए एक प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी गोंडा को भेजा है,जिसमें वर्ष 2012 और वर्ष 2018 में किए गए आवास आवंटनों में कथित फर्जीवाड़े, दस्तावेजों की गुमशुदगी, संदिग्ध हस्ताक्षर, तथा नियमों की अनदेखी की विस्तृत जानकारी दी गई है। प्रार्थना पत्र में जनहित में उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की गई है।

पहला मामला: वर्ष 2012 का आवंटन और गायब पत्रावली

प्रार्थना पत्र के अनुसार, दिनांक 30 दिसंबर 2012 को गाटा संख्या 927 पर क्रमांक 1 से 6 तक कुल 6 लाभार्थियों को आवास आवंटन किया गया था। इस आवंटन की संबंधित पत्रावली को जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत तहसीलदार कर्नलगंज से मांगा गया, लेकिन यह सूचना दी गई कि पत्रावली कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। 28 जनवरी 2025 को राज्य सूचना आयोग को भी इसकी सूचना दी गई। पत्रावली की अनुपलब्धता के मामले को गंभीर मानते हुए उपजिलाधिकारी कर्नलगंज द्वारा जांच टीम गठित की गई। प्रार्थना पत्र में आरोप है कि यह पत्रावली तत्कालीन पटल सहायक प्रताप नारायण मिश्र की मृत्यु के बाद रहस्यमयी ढंग से गायब हो गई। सवाल यह भी उठाए गए हैं कि क्या मिश्र की मृत्यु कार्यरत रहते हुई या तब जब उनका स्थानांतरण हो गया था, और उनके स्थान पर नियुक्त नए पटल सहायक ने इस मामले की जानकारी संबंधित अधिकारियों को क्यों नहीं दी? इन तथ्यों के आधार पर फर्जी आवंटन और दस्तावेजों में हेराफेरी की आशंका व्यक्त की गई है।

दूसरा मामला: वर्ष 2018 का आवंटन और संदिग्ध प्रक्रियाएं

दूसरा आरोप वर्ष 2018 के आवास आवंटन से संबंधित हैं। बताया गया है कि दिनांक 18 अक्टूबर 2018 को कुछ लाभार्थियों को गाटा संख्या 927 पर आवास आवंटित किए गए थे, लेकिन यह रजिस्टर में 27 सितंबर 2021 को दर्ज किए गए। इस तीन वर्ष की देरी को संदेहास्पद माना जा रहा है, विशेषकर तब जब रजिस्टर में प्रविष्टि उपजिलाधिकारी के आदेश पर की गई हो, जिसके हस्ताक्षर भी संदिग्ध बताए जा रहे हैं। प्रार्थना पत्र में यह भी बताया गया है कि जिन लाभार्थियों को आवास योजना के तहत भूखंड आवंटित किए गए थे, उन्होंने उस भूमि पर निर्माण नहीं कराया, बल्कि कहीं अन्यत्र आवास बनाए। इसके चलते वे इस भूखंड पर कब्जे के पात्र नहीं रह जाते। साथ ही, यह भी आरोप है कि कुछ लाभार्थियों ने इस भूमि का बैनामा ग्राम प्रधान शिखा श्रीवास्तव और एक अन्य व्यक्ति अनिल कुमार श्रीवास्तव के पक्ष में करवा दिया, जो कि सरकारी योजनाओं और भू-अधिनियमों के स्पष्ट उल्लंघन के अंतर्गत आता है।

स्थान विशेष की संवेदनशीलता और कानूनी स्थिति

गाटा संख्या 927 की भौगोलिक स्थिति भी इस मामले को और जटिल बनाती है। यह भूमि करनैलगंज-आर्यनगर टू-लेन सड़क पर स्थित है और पास में ही जूनियर हाईस्कूल भी है। आरोप है कि इस स्थान पर आवास निर्माण तकनीकी रूप से संभव नहीं है। यहां केवल व्यावसायिक उपयोग जैसे दुकानें ही संभव हैं। यह सरकारी आवास योजना की मूल भावना के विपरीत है। साथ ही प्रार्थना पत्र में यह भी बताया गया है कि यह भूमि केशव प्रसाद बनाम बोर्ड ऑफ रेवेन्यू वाद में उच्च न्यायालय लखनऊ खंडपीठ में विचाराधीन थी, इसके बावजूद यहां आवंटन किया गया, जो न्यायालयीन प्रक्रिया और भू-राजस्व नियमों की अवहेलना है।

प्रार्थना पत्र में निम्नलिखित मांग

गाटा संख्या 927 पर किए गए 30.12.2012 व 18.10.2018 के सभी आवास आवंटनों की निष्पक्ष और बिंदुवार जांच कराई जाए। संबंधित पत्रावलियों की पुन: खोजकर उन्हें संरक्षित किया जाए या एफआईआर दर्ज की जाए। जिन लाभार्थियों ने बैनामा कराया है या फर्जी ढंग से आवंटन प्राप्त किया है, उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए। इस भूमि पर आवासीय निर्माण रोका जाए और आवंटनों को निरस्त किया जाए। दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों पर विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। इस मामले ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी उजागर किया है कि किस प्रकार जनकल्याणकारी योजनाएं भ्रष्टाचार और मिलीभगत का शिकार हो रही हैं। प्रार्थना पत्र के साथ आरटीआई के तहत प्राप्त साक्ष्य और अन्य दस्तावेज भी संलग्न किए गए हैं, जो जांच को गति देने में सहायक हो सकते हैं।

Start Quiz

This Quiz helps us to increase our knowledge

Ragini Sinha

Ragini Sinha

Next Story