Gonda News: आशादेव हॉस्पिटल बना मौत का अड्डा: डॉक्टर की लापरवाही से महिला की मौत, पत्रकार का बेटा भी बन चुका शिकार

Gonda News: ताजा मामला 15 जून का है, जब एक महिला मरीज की लापरवाही के चलते मौत हो गई। इस घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

Radheshyam Mishra
Published on: 15 Jun 2025 8:52 PM IST
Gonda News: आशादेव हॉस्पिटल बना मौत का अड्डा: डॉक्टर की लापरवाही से महिला की मौत, पत्रकार का बेटा भी बन चुका शिकार
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डॉक्टर की लापरवाही से महिला की मौत  (photo: social media )

Gonda News: जिले का आशादेव मेमोरियल सर्जिकल एंड मैटरनिटी हॉस्पिटल मरीजों के लिए काल का पर्याय बन चुका है। आए दिन इस अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण मरीजों की जान जोखिम में पड़ रही है। कई मरीजों की मौत के बावजूद अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ताजा मामला 15 जून का है, जब एक महिला मरीज की लापरवाही के चलते मौत हो गई। इस घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

मृतक महिला गीता के पति इंद्र कुमार मिश्रा, निवासी अशोकपुर बजरिया, थाना कटरा बाजार, ने बताया कि 3 जून को उन्होंने अपनी पत्नी को बच्चेदानी की समस्या के लिए आशादेव हॉस्पिटल में भर्ती कराया। डॉ. देवेंद्र मोहन शुक्ला ने ऑपरेशन की सलाह दी और उसी दिन ऑपरेशन किया गया। लेकिन पांच दिन बाद भी गीता की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। परिजनों ने डॉक्टर को सूचित किया, तो उन्होंने दोबारा ऑपरेशन की सलाह दी और कहा कि 4-5 टांके खोलकर समस्या का पता लगाया जाएगा। हालांकि, ऑपरेशन थिएटर में मरीज के पेट के 27-28 टांके खोले गए और दोबारा ऑपरेशन किया गया। इंद्र ने आरोप लगाया कि इस दौरान डॉक्टर और स्टाफ ने लापरवाही बरती और उनसे पैसे की मांग की गई। इसके बावजूद गीता की हालत बिगड़ती गई और 15 जून की सुबह उनकी मौत हो गई। इंद्र ने नगर कोतवाली में शिकायती पत्र देकर डॉक्टरों की लापरवाही और दो बार ऑपरेशन के कारण पत्नी की मौत का आरोप लगाया है।

पत्रकार के बेटे के साथ भी हुई थी अस्पताल में गंभीर लापरवाही

यह कोई नई घटना नहीं है। एक साल पहले बाबागंज श्रीनगर निवासी पत्रकार दिलीप गुप्ता के बेटे के साथ भी अस्पताल में गंभीर लापरवाही हुई थी। समय रहते दिलीप ने अपने बेटे को लखनऊ ले जाकर कई महीनों तक इलाज कराया, जिससे उसकी जान बच पाई। स्थानीय लोग बताते हैं कि आशादेव हॉस्पिटल में ऐसी घटनाएं आम हो चुकी हैं। कई मरीजों की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा किया, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की उदासीनता के कारण अस्पताल पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

आशादेव हॉस्पिटल की लापरवाही और मरीजों की मौत के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। स्थानीय लोगों और मृतक के परिजनों ने मांग की है कि दोषी डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग से इस अस्पताल की मान्यता रद्द करने की मांग उठ रही है। पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, लेकिन सवाल यह है कि कब तक ऐसी लापरवाही मरीजों की जान लेती रहेगी? प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इस 'मौत के सौदागर' पर लगाम लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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