×

Gorakhpur News: एम्स के लिए लड़नी पड़ी सड़क से संसद तक लड़ाई, सीएम योगी ने संघर्ष की गाथा बताई

Gorakhpur News: सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा: "2014 से पहले एम्स गोरखपुर एक सपना था, आज 7 करोड़ की आबादी का प्रमुख चिकित्सा केंद्र"

Purnima Srivastava
Published on: 30 Jun 2025 9:31 PM IST
Gorakhpur News
X

Gorakhpur News (Social Media image)

Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि 2014 से पहले गोरखपुर में एम्स का बनना महज एक सपना था, जो आज साकार रूप में पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमोत्तर बिहार और नेपाल के बड़े भूभाग की कुल मिलाकर पांच करोड़ की आबादी के लिए प्रत्यक्षतः और सात करोड़ की आबादी के लिए अप्रत्यक्षतः चिकित्सा सुविधा का प्रमुख केंद्र बन चुका है।

सपना साकार हुआ: बीज से वटवृक्ष बना एम्स

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समारोह में देश की प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वागत करते हुए कहा कि "कभी सपना रहे गोरखपुर एम्स से आज जब प्रथम बैच निकल रहा है तो हम सबके चेहरे पर चमक, उत्साह और उमंग है।" उन्होंने एम्स की स्थापना के लिए किए गए संघर्ष को याद करते हुए कहा कि एम्स गोरखपुर आज वटवृक्ष का रूप ले रहा है। उन्होंने भावुक होकर कहा, "बीज से वटवृक्ष बनने की एम्स की पूरी यात्रा में मैं एकमात्र व्यक्ति हूं जो इस समय यहां के दीक्षांत मंच पर उपस्थित हूं।" मुख्यमंत्री ने बताया कि एम्स के लिए हुए संघर्ष को उन्होंने नजदीक से देखा है और सड़क से संसद तक की लड़ाई लड़ी है। इस संघर्ष के प्रतिफल में 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसकी आधारशिला रखी गई।

सीएम योगी ने बताया कि शुरुआत में जमीन की दिक्कत हो रही थी। जब वह मार्च 2017 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तो सबसे पहले एम्स गोरखपुर के लिए जमीन ट्रांसफर कराई। जमीन मिलने के बाद एम्स बनकर तैयार हुआ और 2021 में पीएम मोदी ने इसका लोकार्पण किया। एम्स गोरखपुर से अपने आत्मीय लगाव का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 2019 में जब एम्स में एमबीबीएस के पहले बैच ने प्रवेश लिया, तो विद्यार्थियों से संवाद करने वह खुद आए थे।

चिकित्सा शिक्षा और सुविधाओं में मील का पत्थर

मुख्यमंत्री ने कहा कि एम्स गोरखपुर के बनने से पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमोत्तर बिहार और नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों को मिलाकर पटना से लखनऊ के बीच चिकित्सा सेवा का ऐसा कोई महत्वपूर्ण केंद्र नहीं था। आज यहां सपनों का साकार होना दिख रहा है। गत वर्ष से एम्स गोरखपुर में डीएम की पढ़ाई भी शुरू हो गई है। यूजी, पीजी, सुपर स्पेशलिटी के साथ नर्सिंग की भी उत्कृष्ट पढ़ाई हो रही है। एम्स गोरखपुर का साकार होना आज सबके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण है।

इंसेफेलाइटिस उन्मूलन: एक आह्वान और केस स्टडी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन के दौरान एम्स गोरखपुर के प्रथम पासआउट बैच से आह्वान किया कि वे पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए दहशत का पर्याय रही इंसेफेलाइटिस पर केस स्टडी करें। उन्होंने कहा कि एम्स की स्थापना का एक लक्ष्य यह भी था कि पूर्वी यूपी में इंसेफेलाइटिस के इलाज की सुविधा मिले, और आज जो विद्यार्थी डिग्री लेकर जा रहे हैं, उन्हें भी इसके उन्मूलन की सुखद अनुभूति हो रही होगी।


सीएम ने बताया कि आज से आठ साल पहले यह माह इंसेफेलाइटिस के चलते भय का होता था। चालीस साल में प्रदेश में इंसेफेलाइटिस से पचास हजार मौतें हुई थीं। उन्होंने जुलाई-अगस्त के महीने में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में तीसरी मंजिल के वार्ड की भयावह स्थिति का भी जिक्र किया, जहां बिना पंखे के एक बेड पर चार-चार मरीज पड़े रहते थे। उन्होंने कहा कि इंसेफेलाइटिस के उपचार की गंभीर व्यवस्था और उन्मूलन की दिशा में प्रयास 2014 से पीएम मोदी के मार्गदर्शन में शुरू हुए। पीएम मोदी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश को दो महत्वपूर्ण केंद्र दिए: पहला बीआरडी मेडिकल कॉलेज परिसर में रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर और दूसरा एम्स। उन्होंने नए डॉक्टरों से कहा कि वे इस पर केस स्टडी करें कि इंसेफेलाइटिस का उन्मूलन कैसे हुआ, इसमें उन्हें एम्स में सेवारत डॉ. महिमा मित्तल से सहयोग मिल सकता है, जो इंसेफेलाइटिस के उन्मूलन के लिए किए गए संघर्ष में शामिल रही हैं।

भविष्य रिसर्च का, हर जिले में मेडिकल कॉलेज

मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों और चिकित्सा शिक्षा के विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि आने वाला समय रिसर्च एंड डेवलपमेंट का है। जितना अधिक मरीज देखेंगे, उसकी सामाजिक, भौगोलिक परिस्थितियों को जानेंगे, उतना अच्छा रिसर्च कर सकेंगे। उन्होंने नए डॉक्टरों से कहा कि जीवन संग्राम अब शुरू हो रहा है और चुनौतियों के अनुरूप खुद को तैयार करना होगा।

मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा के विस्तार पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आठ वर्ष पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश में एकमात्र बीआरडी मेडिकल कॉलेज (गोरखपुर) था, लेकिन आज हर जिले में मेडिकल कॉलेज है। गोरखपुर के अलावा, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, बस्ती, सिद्धार्थनगर, आजमगढ़, गोंडा, अयोध्या, अंबेडकरनगर, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, गाजीपुर, चंदौली में मेडिकल कॉलेज हैं। उन्होंने कहा कि बलिया में भी सरकार नया मेडिकल कॉलेज बनाने जा रही है।

गोरखपुर: आदिकाल से प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र

गोरक्ष धरा पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का अभिनंदन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरखपुर भारत की सनातन परंपरा में आदिकाल से एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विख्यात रहा है। शिवावतार महायोगी गुरु गोरखनाथ ने सैकड़ों वर्ष पूर्व जिस धरा को अपनी साधना से आलोकित किया, उसे आज सभी लोग गोरखपुर के नाम से जानते हैं। गोरखपुर की आध्यात्मिक ऊर्जा प्राचीनकाल से देश और दुनिया में प्रकाश बिखेरती रही है। देश के जो भी प्रमुख बौद्ध तीर्थस्थल हैं, वे गोरखपुर के इर्द-गिर्द हैं। महात्मा बुद्ध की महानिर्वाण स्थली कुशीनगर गोरखपुर से 50 किमी, उनकी जन्मस्थली लुम्बिनी 90 किमी की दूरी पर है। जैन परंपरा के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी की पावानगरी गोरखपुर से 70 किमी और संतकबीर की महापरिनिर्वाण स्थली 30 किमी की ही दूरी पर है। गोरखपुर से भारत की सनातन परंपरा के केंद्र अयोध्या जाने में डेढ़ घंटे और बाबा विश्वनाथ के धाम काशी जाने में सिर्फ ढाई घंटे लगते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन परंपरा और आध्यात्मिकता से संपन्न इस धरा की आजादी की लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। पर, इन सबके बावजूद यह क्षेत्र शैक्षिक, स्वास्थ्य और आर्थिक विपन्नता का शिकार था, जिसे 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में दूर किया गया।

Start Quiz

This Quiz helps us to increase our knowledge

Ramkrishna Vajpei

Ramkrishna Vajpei

Next Story