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Gorakhpur News: भारतीय ज्ञान परंपरा से सुसज्जित होगी शिक्षा, तैयार होंगे विश्व स्तरीय नागरिक, बोले डॉ. अश्वनी मिश्रा
Gorakhpur News: डॉ. मिश्रा ने कहा कि इसी गौरवशाली परंपरा को पुनर्जीवित करने और आधुनिक शिक्षा प्रणाली के साथ संतुलन स्थापित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू की गई है।
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Gorakhpur News: महाराणा प्रताप महाविद्यालय, जंगल धूसड़, गोरखपुर में राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की ग्यारहवीं पुण्यतिथि के स्मृति में आयोजित सप्तदिवसीय व्याख्यानमाला के चौथे दिन ’भारतीय ज्ञान परंपरा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020’ विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, लखनऊ, उत्तर प्रदेश डॉ. अश्वनी कुमार मिश्रा ने सारगर्भित उद्बोधन प्रस्तुत किया। डॉ. मिश्रा ने कहा कि भारत का शैक्षिक इतिहास केवल शिक्षा प्राप्त करने का माध्यम नहीं रहा, बल्कि यह जीवन दृष्टि, संस्कार और समाज कल्याण का आधार रहा है।
गुरुकुल परंपरा से लेकर तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविख्यात विश्वविद्यालयों तक, भारतीय शिक्षा प्रणाली ने न केवल ज्ञान-विज्ञान दिया, बल्कि चरित्र निर्माण और समाजोपयोगी जीवन जीने की प्रेरणा भी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा से शिक्षा सुसज्जित होगी और इससे विश्व स्तरीय नागरिक तैयार होंगे। डॉ. मिश्रा ने कहा कि इसी गौरवशाली परंपरा को पुनर्जीवित करने और आधुनिक शिक्षा प्रणाली के साथ संतुलन स्थापित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू की गई है। यह नीति भारतीय ज्ञान परंपरा की जड़ों से जुड़ी हुई है और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा को आकार देती है। डॉ मिश्रा ने इस विषय में आगे बताया कि समय के साथ हमारी शिक्षा व्यवस्था में कई परिवर्तन हुए। औपनिवेशिक काल में शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी पाने तक सीमित कर दिया गया था, परिणाम यह हुआ कि भारतीय ज्ञान परंपरा का जो दिव्य स्वरूप था, वह धीरे-धीरे शिक्षा से दूर होता चला गया। इसी कमी को पूरा करने और शिक्षा को पुनः भारतीय मूल्यों से जोड़ने का प्रयास ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 है।
डॉ. मिश्रा ने कहा कि यदि शिक्षा केवल नौकरी तक सीमित रह जाए तो वह अधूरी है। लेकिन यदि शिक्षा चरित्र, संस्कार, कर्तव्यबोध और समाज सेवा सिखाए, तभी वह पूर्ण कहलाती है। यही शिक्षा नीति 2020 का वास्तविक संदेश है। उन्होंने आगे बताया कि आने वाले वर्षों में यह शिक्षा नीति भारत की नई पीढ़ी को केवल कुशल कर्मचारी ही नहीं, बल्कि जिम्मेदार नागरिक और संवेदनशील मानव बनाने में भी सहायक होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा हमारी पहचान है, और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 उस पहचान को भविष्य की पीढ़ी तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम है।
नई शिक्षा नीति में झलक रही है भारत की आत्मा और संस्कृति : डॉ विजय चौधरी
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए9 महाविद्यालय के भूगोल विभाग के अध्यक्ष डॉ.विजय कुमार चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की दृष्टि समग्र विकास है। यह केवल नौकरीपरक शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन मूल्यों, नैतिकता और जिम्मेदारी पर भी बल देती है। इससे शिक्षा केवल ‘रोजगार पाने का साधन’ न रहकर, ‘जीवन को सार्थक बनाने का मार्ग’ बनेगी। उन्होंने आगे कहा कि यह नीति छात्रों को स्थानीय परंपराओं और ज्ञान से जोड़ते हुए उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का प्रयास करती है। भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़े विषयों का अध्ययन करने वाला छात्र आज की तकनीकी और वैज्ञानिक चुनौतियों का भी सामना कर सकेगा।
डॉ. चौधरी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का मेल भारत की शिक्षा को एक नई दिशा देता है। यह नीति अतीत की जड़ों से जुड़कर भविष्य के लिए मजबूत आधार तैयार करती है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में यह अपेक्षित है कि शिक्षा केवल कौशल और ज्ञान का स्रोत न रहकर, भारतीय संस्कृति और मूल्यों के संवाहक के रूप में भी विकसित होगी। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के इतिहास विभाग की सहायक आचार्य डॉ अर्चना गुप्ता ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी शिक्षक सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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