Gorakhpur: ओडीओपी के रथ पर सवार टेराकोटा, दीवाली में 100 ट्रकों से दूसरे राज्यों में भेजे गए उत्पाद

Gorakhpur News : ओडीओपी योजना से गोरखपुर की टेराकोटा कला को मिला नया जीवन, दीवाली पर 100 ट्रकों से देशभर में पहुंचाए गए उत्पाद

Purnima Srivastava
Published on: 16 Oct 2025 5:53 PM IST
Gorakhpur: ओडीओपी के रथ पर सवार टेराकोटा, दीवाली में 100 ट्रकों से दूसरे राज्यों में भेजे गए उत्पाद
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 Gorakhpur Terracotta ( Image From Social Media )

Gorakhpur News : करीब साढ़े आठ साल पहले कुछ घरों तक पुश्तैनी कला को बचाने की जद्दोजहद तक सिमटती टेराकोटा माटी शिल्प, सीएम योगी की ओडीओपी योजना से मिले प्रोत्साहन से सतत विस्तारित हो रही है। ओडीओपी के रथ पर सवार टेराकोटा शिल्प के कारोबार ने ऐसी रफ्तार पकड़ी है कि अब उसकी पहुंच देश के कोने कोने तक हो रही है।

इस दीपावली पर गोरखपुर के टेराकोटा उत्पादों की सप्लाई का आंकड़ा 100 ट्रक पार कर चुका है। टर्नओवर की बात करें तो इसे करीब 10 करोड़ रुपये अनुमानित किया जा रहा है। शिल्पकारों का मानना है कि टेराकोटा को ओडीओपी का पंख लगाकर फर्श से अर्श तक पहुंचाने का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को है।

ऐतिहासिक शहर गोरखपुर की खूबियों की विविधता में टेराकोटा माटी शिल्प भी शामिल है। साढ़े आठ साल पहले तक रंगत खो रहे इस शिल्प को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी ओडीओपी योजना की संगत मिली तो इस मिट्टी का रंग और चटक होता गया। कभी अक्सर खाली बैठने वाले टेराकोटा शिल्पकारों के पास अब सालभर काम की भरमार है तो दीपावली जैसे पर्व पर दम लेने की फुर्सत नहीं।

देश के कई राज्यों से आए डिमांड की सप्लाई कर चुके टेराकोटा शिल्पकारों की दीपावली तो करीब माहभर पहले ही मन चुकी है। अब त्योहार के आखिरी के दिनों में उनका फोकस लोकल मार्केट की डिमांड को पूरी करने पर है, लिहाजा चाक पर उनके हाथ लगातार चल रहे हैं।योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से पहले गोरखपुर के टेराकोटा हुनरमंद कभी बाजार को तरसते थे।

सीएम योगी ने टेराकोटा को ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) योजना में शामिल किया तो इसके बाजार का जबरदस्त विस्तार हुआ। ओडीओपी में शामिल होने के बाद टेराकोटा शिल्पकारों को संसाधनगत, वित्तीय व तकनीकी मदद तो मिली ही, सीएम की अगुवाई में ऐसी जबरदस्त ब्रांडिंग हुई कि इसका बाजार दिनोंदिन बढ़ता ही गया। इलेक्ट्रिक चाक, पगमिल, डिजाइन टेबिल आदि मिलने से शिल्पकारों का काम आसान और उत्पादकता तीन से चार गुना हो गई। गुणवत्ता में सुधार अलग से।

वर्तमान में टेराकोटा के मूल गांव औरंगाबाद के साथ ही गुलरिहा, भरवलिया, जंगल एकला नंबर-2, अशरफपुर, हाफिज नगर, पादरी बाजार, बेलवा, बालापार, शाहपुर, सरैया बाजार, झुंगिया, झंगहा क्षेत्र के अराजी राजधानी आदि गांवों में टेराकोटा शिल्प का काम वृहद स्तर पर चल रहा है। ओडीओपी में शामिल होने के बाद बाजार बढ़ने से करीब एक तिहाई नए लोग भी टेराकोटा के कारोबार से जुड़े हैं। गोरखपुर में वर्तमान में 500 से अधिक परिवार टेराकोटा उद्यम से जुड़े हुए हैं। एक तरह से इसके ब्रांड एम्बेसडर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। और, इस ब्रांडिंग ने शिल्पकारों को बारह महीने काम से सराबोर कर दिया है।

मांग और बाजार के संबंध में राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत शिल्पकार राजन प्रजापति का कहना है कि दीपावली को लेकर साल के शुरुआत में ही भरपूर ऑर्डर मिल गया था। टेराकोटा के सजावटी उत्पादों की सर्वाधिक मांग देश के दूसरे राज्यों के शहरों अहमदाबाद, हैदराबाद, बेंगलुरु, चित्तूर, चेन्नई, दिल्ली से रही। राजन बताते हैं कि मुख्यमंत्री के प्रयासों से टेराकोटा का काम इतना बढ़ गया है कि तनिक भी फुर्सत नहीं मिल पा रही। कभी स्थानीय बाजार में ही उत्पाद नहीं बिक पाते थे जबकि आज हमारे उत्पाद की मांग पूरे देश में हैं। वाकई महाराज जी (सीएम योगी) ने तो हमारी मिट्टी को सोना बना दिया है। बकौल राजन, इस वर्ष उनके वर्कशॉप से 18 ट्रक टेराकोटा उत्पाद अन्य प्रदेशों में भेजा गया है। वह बताते हैं कि शिल्पकारों के अलग अलग समूह के ऑर्डर को जोड़ लिया जाए तो गोरखपुर टेराकोटा क्लस्टर से सौ ट्रक से अधिक उत्पादों की आपूर्ति की गई है।

शिल्पकार रविंद्र प्रजापति ने बताया कि ओडीओपी ने टेराकोटा कारोबार का कायाकल्प कर दिया है। वह मानते हैं कि पहले काम काफी कम होता था लेकिन ओडीओपी में शामिल होने के होने के बाद टेराकोटा की डिमांड खूब बढ़ी है। व्यवसाय में 30 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है। नागेंद्र प्रजापति भी टेराकोटा कारोबार में आए बूम का श्रेय योगी सरकार की ओडीओपी योजना को देते हैं। उनके मुताबिक ओडीओपी से टेराकोटा शिल्पकारों को फायदा ही फायदा है।

ऐसे शिल्प से उद्यम की तरफ बढ़ा टेराकोटा

2017 के पहले तक टेराकोटा शिल्पकारों के पास संसाधनों का अभाव था। वह सारा काम हाथ से करते थे। ओडीओपी में शामिल होने के बाद उन्हें इलेक्ट्रिक चाक मिले, पगमील मशीन मिली। हस्तचालित चाक की तुलना में इलेक्ट्रिक चाक पर तेजी से कलाकृतियां बन जाती हैं। जबकि पगमील के जरिए 24 घंटे के बराबर मिट्टी की गुथाई एक घंटे में हो जाती है। इसका असर यह हुआ कि जितने उत्पाद एक दिन तैयार होते थे, अब उतने दो घंटे में बन जाते हैं। पूंजी का संकट दूर करने के लिए भारी अनुदान पर आसानी से ऋण मिल जाने से काम और भी आसान हो गया। शिल्पकारों को संसाधन उपलब्ध कराने साथ ही सरकार ने बड़ा बाजार दिलाने के लिए इसकी ब्रांडिंग की। बड़े बड़े महानगरों में तमाम प्रदर्शनी लगवाई, शिल्पकारो को पुरस्कार देकर उत्साहित किया। राष्ट्रपति सहित अन्य बड़ी हस्तियों को भेंट करने के लिए टेराकोटा के उत्पादों को प्राथमिकता दी।

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