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हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की
धर्म, प्रेम और करुणा का प्रतीक श्रीकृष्ण—जग का अँधियारा मिटाने जन्मे कन्हैया।
रात के 12 बजते ही पूरे देश में जन्माष्टमी के उत्सव का शुभारंभ हो गया। मंदिरों की घंटियां, शंखनाद और हर-हर गोकुल के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो उठा।
मथुरा और वृंदावन के मंदिरों में कान्हा के जन्म का स्वागत करते ही हजारों श्रद्धालु झूम उठे। पुष्पवर्षा, भजन-कीर्तन और झांकियों से हर कोना कृष्णमय हो गया है।
दिल्ली, लखनऊ, वाराणसी और अहमदाबाद सहित देशभर के मंदिरों में भीड़ उमड़ रही है। रोशनी और सजावट से सजे मंदिरों में भक्तों ने नंदलाल का जन्म उत्साह और आस्था के साथ मनाया।
श्रद्धालु कान्हा के जन्मोत्सव को लेकर बेहद उत्साहित हैं और भजन-कीर्तन में लीन हैं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाया गया है। विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ झांकियों की भी विशेष व्यवस्था की गई है। श्रद्धालु कान्हा के दर्शन करने के लिए सुबह से ही मंदिरों में पहुँचे। प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं ताकि त्योहार शांतिपूर्ण और भव्य रूप से मनाया जा सके।
जगह-जगह लगे हैं भंडारे
कान्हा के जन्म उत्सव को लेकर हर बृजवासी के मन में एक उत्साह है और आने वाले हर श्रद्धालु के लिए सुविधा का इंतजाम किया गया है। खाने से लेकर पीने तक का जगह-जगह भंडारों का आयोजन किया गया। व्रत वाले श्रद्धालुओं के लिए व्रत सामग्री का इंतजाम किया गया और जो भक्त व्रत नहीं हैं वो भगवान के छपंनभोगों का आनंद पा रहे हैं। कोई सब्जी पूड़ी का लुत्फ उठा रहा है। तो कोई हलवा खीर पेड़ा तरह-तरह व्यंजन के प्रकार प्रसाद का आनंद ले रहा है। हर श्रद्धालु का कहना यही है कि ऐसी जन्माष्टमी हमारे भारत में कहीं और नहीं मनाई जाती। जैसी मथुरा में कान्हा के जन्म की धूम है। हर कोई श्रद्धालु खुश है। और गर्मी के मौसम में बच्चों के लिए आइसक्रीम और ठंडे जल का भी प्रबंध किया गया है।
वृन्दावन चंद्रोदय मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव धूमधाम से सम्पन्न
भक्तिवेदांत स्वामी मार्ग स्थित वृन्दावन चंद्रोदय मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण दिवस जन्माष्टमी आध्यात्मिक उत्साह और दिव्य भक्ति भाव के साथ मनाया गया। मंदिर परिसर को भक्तों ने विभिन्न पुष्पों से सुसज्जित किया, जिससे पूरा वातावरण मनोहर हो उठा।
उत्सव के मुख्य आकर्षणों में लड्डू गोपाल अभिषेक, छप्पन भोग, विशेष पोशाक धारण, झूलन उत्सव, भजन संध्या और हरिनाम संकीर्तन शामिल रहे। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भगवान श्रीश्री राधा वृन्दावन चंद्र का महाभिषेक पंचगव्य (दूध, दही, घी, शहद, मिश्री), 108 प्रकार के फलों के रस, औषधियों और पुष्पों से किया गया। इस अवसर पर हरे-श्याम रंग के रेशमी और चांदी की कढ़ाईयुक्त वस्त्र पहनाए गए, वहीं निताई गौरांग को विशेष अलंकरण और पुष्पमालाओं से सजाया गया।
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