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Hapur News: खुद संभलकर करो सफर, क्योंकि चालक बिना टेस्ट ही सड़कों पर,14 साल बाद भी नहीं बना ड्राइविंग ट्रैक, हादसों का बढ़ा खतरा
Hapur News: सफर करना खतरे से खाली नहीं है। यहां वाहन चालक बिना किसी पुख्ता टेस्ट और प्रशिक्षण के ही गाड़ियां दौड़ा रहे हैं। जिला बने 14 साल बीत गए, लेकिन यहां का ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक अभी तक तैयार नहीं हुआ।
Hapur driving test track
Hapur News : जिले की सड़कों पर सफर करना खतरे से खाली नहीं है। यहां वाहन चालक बिना किसी पुख्ता टेस्ट और प्रशिक्षण के ही गाड़ियां दौड़ा रहे हैं। जिला बने 14 साल बीत गए, लेकिन यहां का ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक अभी तक तैयार नहीं हुआ। नतीजा यह है कि अनट्रेंड चालक सीधे सड़कों पर उतर जाते हैं और हादसे आम हो जाते हैं।
लाइसेंस बन रहे बिना असली परीक्षा के
फिलहाल विभाग मैनुअल ड्राइविंग टेस्ट कराता है, लेकिन यह सिर्फ खानापूर्ति बनकर रह गया है। आवेदक को गाड़ी चलाते ही लाइसेंस दे दिया जाता है। न तो यातायात नियमों का पालन सख्ती से परखा जाता है और न ही तकनीकी क्षमता की जांच। नतीजा यह है कि बिना प्रशिक्षित लोग लाइसेंस लेकर सड़कों पर दौड़ते हैं। यही वजह है कि जिले में दुर्घटनाओं का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है।
पांच साल से फंसा हाईटेक ड्राइविंग ट्रैक
हापुड़ जिले में ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक बनाने की योजना पांच साल पहले ही पास हो चुकी थी। यह ट्रैक पूरी तरह सेंसर और कैमरे से लैस होना था।
दो हिस्सों में बंटा ट्रैक – दोपहिया और चारपहिया वाहनों के लिए अलग-अलग 10 मिनट में पूरा होगा टेस्ट
ट्रैफिक सिग्नल, मोड़, बैक गियर, लेन चेंजिंग की होगी जांच
पहली बार पांच फीट ऊंची चढ़ाई चढ़ाने की परीक्षा भी होगी
टेस्ट पूरा होते ही तुरंत स्क्रीन पर रिजल्ट मिल जाएगा
इस ट्रैक की खासियत यह है कि इसमें कर्मचारियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। यदि चालक एक छोटी सी भी गलती करता है तो कैमरे और सेंसर उसे तुरंत पकड़ लेंगे। असफल होने पर आवेदक को पूरी प्रक्रिया दोबारा करनी पड़ेगी।
कंपनी ने नहीं किया काम, शासन ने उठाया कदम
उत्तराखंड की एक कंपनी को यह काम सौंपा गया था। उसने गाजियाबाद में निर्माण शुरू कर दिया लेकिन हापुड़ में दर्जनों रिमांडर भेजे जाने के बाद भी काम नहीं किया। अब विभाग ने उसका टेंडर निरस्त कर शासन को दूसरी कंपनी से काम कराने का प्रस्ताव भेजा है। नई कंपनी के नामित होने और निर्माण शुरू होने में ही एक साल लग जाएगा। यानी फिलहाल अनट्रेंड चालकों की ही सड़कों पर बादशाहत रहेगी।
हादसों की बड़ी वजह,बिना ट्रेनिंग के ड्राइविंग
परिवहन विशेषज्ञ मानते हैं कि ज्यादातर सड़क हादसों के पीछे ड्राइवर की गलती ही सबसे बड़ी वजह होती है। जब बिना ट्रेनिंग के लोगों को लाइसेंस दिया जाएगा तो हादसों में इजाफा होना तय है। शहर और गांवों की सड़कों पर आए दिन ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं जहां अनुभवहीन चालक या तो वाहन पलट देते हैं या फिर किसी राहगीर को कुचल देते हैं।
प्रशासन का दावा,जल्द होगा काम
उप संभागीय परिवहन अधिकारी छवि सिंह चौहान का कहना है –“हम अब इस विषय पर गंभीर हैं। जिस कंपनी ने काम नहीं किया, उसका टेंडर निरस्त कर दिया गया है। शासन को पत्र भेज दिया गया है। जल्द ही दूसरी कंपनी को नामित कर काम शुरू कराया जाएगा। तब तक वैकल्पिक साधनों से टेस्ट कराए जाएंगे। लाइसेंस सिर्फ उन्हीं को दिया जाएगा जो पूरी ट्रेनिंग पूरी करेंगे।”
लोगों की चिंता,कब मिलेगा सुरक्षित सफर?
हापुड़ में रहने वाले लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि जब हर जिले में आधुनिक सुविधाएं पहुंच रही हैं तो ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक क्यों अधर में लटका हुआ है। लोगों का कहना है कि जब तक यह ट्रैक नहीं बनेगा, तब तक हादसों का सिलसिला भी थमेगा नहीं।
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