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Hardoi News: DRM निरीक्षण में शौचालय में लगी थी स्टील की टोंटी, अब प्लास्टिक की लगा किया हैंडओवर
Hardoi News: रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या तीन पर लखनऊ छोर पर शौचालय में काफी दिन तक ताला पड़ा रहा है जिसकी शिकायत सोशल मीडिया के माध्यम से रेल अधिकारियों को की गई इसके बाद डीआरएम राजकुमार सिंह के निरीक्षण से पहले अधिकारियों ने शौचालय को खोल दिया।
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Hardoi News: हरदोई रेलवे स्टेशन पर चल रहे अमृत भारत स्टेशन योजना के निर्माण कार्य में रेल अधिकारियों की लगातार लापरवाही उजागर हो रही है। निर्माण में लगातार अधिकारी अनियमितता बरत रहे हैं। कई बार इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों से भी सोशल मीडिया के माध्यम से की गई लेकिन कोई भी कार्यवाही इस संबंध में अधिकारियों ने नहीं की है।
हरदोई के प्लेटफार्म संख्या तीन पर अमृत भारत स्टेशन योजना में बने शौचालय में भी अधिकारियों ने अनिमियता बरती है।जहां एक ओर शौचालय में स्टील की टोंटी लगनी थी वहां पर प्लास्टिक की टोटी लगाकर काम चला दिया गया है।डीआरएम के निरीक्षण में स्टील की टोंटी लगी हुई थी जिसके बाद ही यह टोंटी बदलकर प्लास्टिक की लगा दी गई। इस संबंध में कोई भी रेल अधिकारी कुछ भी बोलने को राजी नहीं है। करोड़ों की लागत से बन रहे रेलवे स्टेशन पर शौचालय में प्लास्टिक टोंटी और निर्माण में डस्ट का प्रयोग कर रहे हैं।
चोरी की बात कह लगा दी प्लास्टिक की टोंटी
हरदोई रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या तीन पर लखनऊ छोर पर शौचालय में काफी दिन तक ताला पड़ा रहा है जिसकी शिकायत सोशल मीडिया के माध्यम से रेल अधिकारियों को की गई इसके बाद डीआरएम राजकुमार सिंह के निरीक्षण से पहले अधिकारियों ने शौचालय को खोल दिया। डीआरएम ने भी शौचालय में जाकर निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान शौचालय के बाहर एमसीवी के साथ विद्युत तार लटके नजर है जिसको लेकर नाराजगी व्यक्त करते हुए इसको दुरुस्त करने को कहा था।
डीआरएम को शौचालय दुरुस्त मिला। डीआरएम के निरीक्षण के समय शौचालय में स्टील की टोंटी लगी हुई थी जिसको निरीक्षण के बाद हटाकर प्लास्टिक की टोटी लगा दी गई और शौचालय को रेल अधिकारियों के सुपुर्द भी कर दिया गया। रेलवे से जुड़े सूत्र बताते हैं कि जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा स्टील की टोटी लगवाई गई थी लेकिन वह चोरी हो गई जिसके बाद जिम्मेदारों ने प्लास्टिक की टोंटी लगवा दी है।
अब सवाल यह कि अगर स्टील की टोंटी अगर चोरी हुई थी तो रेल अधिकारियों ने इस विषय में आरपीएफ और जीआरपी में अभियोग क्यों नहीं पंजीकृत कराया। कहीं ना कहीं यह एक बड़े भ्रष्टाचार की तरफ इशारा कर रहा है। अब देखने वाले बात यह होगी कि मुरादाबाद मंडल के नवागंतुक डीआरएम इस पर क्या कार्रवाई करते हैं।
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