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Hardoi: अमृत भारत योजना के नाम पर हरदोई स्टेशन पर लीपापोती, 30 करोड़ की परियोजना में गड़बड़ी
Hardoi News: हरदोई रेलवे स्टेशन पर अमृत भारत योजना के तहत 30 करोड़ की परियोजना में पुरानी टीन शेड और ढांचे को नया बताकर उपयोग करने का आरोप, जांच की मांग तेज।
अमृत भारत योजना के नाम पर हरदोई स्टेशन पर लीपापोती (photo: social media )
Hardoi News: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी “अमृत भारत स्टेशन” योजना के तहत हरदोई रेलवे स्टेशन के कायाकल्प का कार्य बड़े दावों और कागजी उपलब्धियों के बीच चल रहा है। करीब 30 करोड़ रुपये की लागत से यात्री सुविधाओं को आधुनिक स्वरूप देने की बात कही जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट सामने आ रही है। स्थानीय यात्रियों और जागरूक नागरिकों के अनुसार स्टेशन परिसर में विकास के नाम पर केवल दिखावा किया जा रहा है।
नई सामग्री लगाने के बजाय पुरानी टीन शेड, खंभों और ढांचों को केवल रंग-रोगन कर चमका दिया गया है, जिससे भ्रष्टाचार की आशंकाएं और तेज हो गई हैं।सबसे बड़ा सवाल प्लेटफार्म संख्या-3 पर लगे टीन शेड को लेकर उठ रहा है। मानसून के दौरान यही टीन शेड कई जगहों से टपकता रहा था और यात्रियों को बारिश में भीगना पड़ा था। उस समय टीन की खराब हालत के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थीं।
यात्रियों को उम्मीद थी कि अमृत भारत योजना में इसे नए सिरे से बदला जाएगा, लेकिन ऐसा न होकर पुराने शेड को ही रंग कर फिर से खड़ा कर दिया गया। यही नहीं, जहां-जहां छेद थे, वहां “एम-सील” लगाकर बूंदाबांदी रोकने का तुगलकी इंतजाम भी कर दिया गया। यह काम कितने दिन टिकेगा, यह किसी से छिपा नहीं।
वरिष्ठ अधिकारी भी इन अनियमितताओं पर आंखें मूंदे हुए हैं
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि टेंडर में नए छतरी-ढांचे, आधुनिक स्टील स्ट्रक्चर और बेहतर रेन प्रोटेक्शन व्यवस्था का जिक्र था, मगर कार्यान्वयन स्तर पर अधिकारियों ने पुरानी सामग्री को ‘मरम्मत’ के नाम पर दोबारा उपयोग में लेते हुए बजट का बड़ा हिस्सा बचाने का खेल खेल दिया। जबकि सरकारी नियम बेहद स्पष्ट कहते हैं कि सिविल स्ट्रक्चर की खराब स्थिति पाए जाने पर पुरानी टीन पूरी तरह हटाकर नया ढांचा लगाया जाना चाहिए। इसके विपरीत यहां रद्दी और जर्जर सामग्री को ही नया बताकर चस्पां कर दिया गया।चौंकाने वाली बात यह है कि मुरादाबाद मंडल कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इन अनियमितताओं पर आंखें मूंदे हुए हैं। शिकायतें होने के बाद भी किसी प्रकार का निरीक्षण या गुणवत्ता परीक्षण नहीं कराया गया।
यात्रियों का कहना है कि यदि ऐसा ही लीपापोती वाला काम चलता रहा तो करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी यात्रियों को असल बदलाव नहीं मिलेगा। केवल बोर्ड, पेंटिंग और फोटो खिंचवाने वाली व्यवस्था ही सामने दिखेगी, जबकि असली सुरक्षा और सुविधा का मुद्दा अधूरा ही रहेगा।फिलहाल यह मुद्दा यात्रियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग सोशल मीडिया पर लगातार यह सवाल उठा रहे हैं कि जब करोड़ों का बजट स्वीकृत हुआ था तो फिर जर्जर टीन शेड को दोबारा प्रयोग में लाने की क्या मजबूरी थी? क्या यह सब जानबूझकर किया गया, या फिर काम की निगरानी में गंभीर लापरवाही है
क्या डीआरएम करेंगे कार्यवाही
अब निगाहें मुरादाबाद मंडल के डीआरएम पर टिक गई हैं। देखने वाली बात यह होगी कि क्या मंडल प्रशासन जांच बैठाकर दोषियों पर कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी अन्य प्रोजेक्ट्स की तरह फाइलों में दबा रहेगा। यात्रियों की राय साफ है—अगर विकास दिखाई ही देता तो टपकती छत पर “एम-सील” नहीं, बल्कि नया निर्माण होता।
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