Jhansi News: ‘कला आचार्य प्रदर्शनी–2025’ में झलका गुरु-शिष्य परंपरा का अद्भुत संगम

बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में दो दिवसीय “कला आचार्य प्रदर्शनी–2025” सम्पन्न, शिक्षकों की कलाकृतियों ने दिखाई सृजनशीलता, संवेदना और परंपरा की सुंदर झलक।

Gaurav kushwaha
Published on: 30 Oct 2025 10:50 PM IST
Wonderful confluence of guru-disciple tradition seen in Kala Acharya Exhibition-2025
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  ‘कला आचार्य प्रदर्शनी–2025’ में झलका गुरु-शिष्य परंपरा का अद्भुत संगम (Photo- Newstrack)

Jhansi News: झाँसी। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी का परिसर दो दिनों तक कला और सृजन की ऊर्जा से सराबोर रहा। ललित कला संस्थान और राज्य ललित कला अकादमी, उत्तर प्रदेश लखनऊ की संयुक्त पहल पर आयोजित “कला आचार्य चित्रकला प्रदर्शनी – 2025” का भव्य समापन समारोह उत्साह और गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ। इस प्रदर्शनी में प्रदेशभर के कला शिक्षकों ने अपनी उत्कृष्ट कलाकृतियों के माध्यम से गुरु-शिष्य परंपरा और रचनात्मकता का अनोखा संगम प्रस्तुत किया।

मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव (वित्त एवं अतिगोपनीय) सुनील सेन ने कहा कि “विश्वविद्यालय कला और संस्कृति के क्षेत्र में विद्यार्थियों व शिक्षकों को मंच प्रदान करने के लिए सदैव संकल्पित है। ‘कला आचार्य प्रदर्शनी’ यह प्रमाण है कि अकादमिक और कलात्मक अभिव्यक्ति दोनों ही हमारी पहचान हैं।”

विशिष्ट अतिथि रेलवे मजिस्ट्रेट अरुण क्रांति यशोदास ने कहा कि “कला आत्मा की भाषा है, और जब शिक्षक अपने शिष्य के माध्यम से उसे जीवंत करते हैं, तब कला अपनी सर्वोच्च अवस्था को प्राप्त करती है।” उन्होंने कहा कि ऐसी प्रदर्शनियाँ समाज में सौंदर्यबोध और संवेदनशीलता को बढ़ावा देती हैं।

मुख्य वक्ता प्रो. मुन्ना तिवारी, विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग, ने कहा कि “कला और साहित्य समाज की आत्मा के प्रतिबिंब हैं। जब कलाकार रंगों से जीवन का दर्शन रचता है, तो वह समाज को सोचने पर विवश करता है।”

कार्यक्रम संयोजक डॉ. श्वेता पाण्डेय ने प्रदर्शनी की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह आयोजन शिक्षकों की सृजनशीलता और समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने सभी सहयोगियों और प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

प्रदर्शनी में डॉ. ऋतु शर्मा, भावना दुबे, मेराज फातिमा, कुसुमलता सविता, ममता वर्मा, डॉ. ब्रजेश पाल, सुबोध प्रजापति सहित अनेक कला आचार्यों की रचनाएँ प्रदर्शित हुईं। कार्यक्रम का संचालन गजेन्द्र सिंह ने किया। समापन समारोह में शिक्षकों, विद्यार्थियों और कला प्रेमियों की उपस्थिति ने आयोजन को विशेष गरिमा प्रदान की।

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