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Jhansi News: खरीफ मौसम में समय से करें मूंगफली की खेती, वैज्ञानिकों की सलाह
Jhansi News: मूंगफली के लिए कम जलभराव वाली भुरभुरी दोमट या बलुई दोमट अथवा लाल मिट्टी उपयुक्त है।
खरीफ मौसम में समय से करें मूंगफली की खेती (photo: social media )
Jhansi News: रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के कृषि वैज्ञानिकों ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र के किसानों को खरीफ मौसम में मूंगफली की खेती समय से करने की सलाह दी है।
डॉ. अनिल कुमार राय और डॉ. योगेश्वर सिंह ने बताया कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मूंगफली की खेती का रकबा तेजी से बढ़ रहा है और वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाकर उत्पादकता को कई गुना बढ़ाया जा सकता है।
उपयुक्त भूमि व तैयारी
मूंगफली के लिए कम जलभराव वाली भुरभुरी दोमट या बलुई दोमट अथवा लाल मिट्टी उपयुक्त है।
मिट्टी पलटने वाले हल या कल्टीवेटर से जुताई करें, फिर दो बार सामान्य जुताई के बाद पाटा लगाएं।
बीज व किस्में
क्षेत्र के लिए गिरनार 3, गिरनार 4 और टीजी-37ए किस्में उपयुक्त हैं।
गुच्छेदार किस्मों के लिए बीज मात्रा 75–80 किग्रा/हेक्टेयर और फैलने वाली किस्मों के लिए 60–70 किग्रा/हेक्टेयर रखें।
खाद व उर्वरक प्रबंधन
अंतिम जुताई से पहले नीम की खली 400 किग्रा/हेक्टेयर डालें।
यदि भूमि परीक्षण न हो, तो 20–25 किग्रा नाइट्रोजन व 40–50 किग्रा फास्फोरस प्रति हेक्टेयर डालें।
5 टन सड़ी गोबर की खाद व बुवाई के समय डीएपी, बाद में यूरिया को 2 बार—20–25 और 40–45 दिन में—डालें।
खरपतवार नियंत्रण
बुवाई के 36 घंटे के भीतर पेन्डामेथिलीन (स्टाम्प) की 3 लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़कें।
वैज्ञानिकों ने कहा कि यदि इन वैज्ञानिक तरीकों को अपनाया जाए तो बुन्देलखण्ड के किसान मूंगफली की खेती से बेहतर उत्पादन और अधिक लाभ कमा सकते हैं।
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