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Kanpur Dehat News: गौरैया संरक्षण संगोष्ठी में उठा संदेश- ‘विष रहित बीज बोएं, गौरैया को बचाएं’
Kanpur Dehat News: बीआरसी डेरापुर में आयोजित संगोष्ठी में शिक्षकों व पर्यावरण प्रेमियों ने गौरैया संरक्षण पर दिया संदेश, कृत्रिम घोंसले व दाना-पानी की व्यवस्था का किया आह्वान।
Kanpur Dehat News: कानपुर देहात। बीआरसी प्रांगण डेरापुर में आयोजित गौरैया संरक्षण संगोष्ठी में शिक्षकों और पर्यावरण प्रेमियों ने लुप्त होती गौरैया को बचाने का संकल्प लिया। उच्च प्राथमिक विद्यालय सिठमरा के प्रधानाध्यापक शनेन्द्र सिंह तोमर ने कहा, “विष मिश्रित बीज धोकर बोएं, गौरैया को न खोएं।” उन्होंने बताया कि गौरैया मानव की सहगामी अण्डयुज पक्षी है, जिसकी लंबाई लगभग 16 सेंटीमीटर और वजन करीब 32 ग्राम होता है।
राज्य अध्यापक और पर्यावरण मित्र नवीन कुमार दीक्षित ने कहा कि फसलों में अत्यधिक कीटनाशक छिड़काव, पक्के मकान बनने और घरों में रोशनदान बंद रहने से गौरैया को घोंसला बनाने की जगह नहीं मिल पा रही है। उन्होंने लोगों से पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की अपील की।
ब्लॉक व्यायाम शिक्षक आदित्य त्रिपाठी ने कहा कि मोबाइल टावरों से निकलने वाली रेडिएशन और सीलिंग फैन से कटकर गौरैया की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। उच्च प्राथमिक विद्यालय गेंदामऊ के प्रधानाध्यापक अरविंद यादव ने कहा कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को गौरैया संरक्षण के लिए कृत्रिम घोंसले लगाने और दाना-पानी की व्यवस्था करनी चाहिए।
शिक्षिका सरला ने कहा कि गौरैया जैसे पक्षी खेतों को कीटों से बचाने में अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन अब उनकी चहचहाहट धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। शिक्षक रामजी ने कहा कि विष मिश्रित बीजों और कच्चे मकानों के अभाव के कारण गौरैया का प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने घरों और विद्यालयों में दाना-पानी रखें ताकि गौरैया की संख्या बढ़ाई जा सके।
संगोष्ठी में दीपक सिंह, सुनील सेंगर, मोहित यादव, अवशेष कुमार, भूपेंद्र शर्मा, आशुतोष मिश्रा और रवीन्द्र सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सभी ने एक स्वर में कहा कि गौरैया संरक्षण केवल पर्यावरण नहीं, बल्कि मानव अस्तित्व से जुड़ा विषय है।
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