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Kaushambi News: बिना हूटर, बिना खबर: जब डीएम-एसपी ने मचाई हड़कंप
Kaushambi News: आज जिला अधिकारी कौशांबी मधुसूदन हुल्गी सरकारी गाड़ी छोड़कर मोटरसाइकिल से अचानक जिला मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने पहुंच गए।
बिना हूटर, बिना खबर: जब डीएम-एसपी ने मचाई हड़कंप (photo: social media )
Kaushambi News: बचपन में प्राथमिक स्कूल की हिंदी की किताब में एक कहानी पढ़ी जाती थी, चूहों की सभा। कहानी में चूहों को शिकायत थी कि बिल्ली के डर से वे आज़ादी से नहीं रह पाते। सबने तय किया कि अगर बिल्ली के गले में घंटी बांध दी जाए तो वह आते ही पकड़ी जाएगी और सब सुरक्षित रहेंगे। निर्णय तो अच्छा था, लेकिन जब सवाल आया कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा, तो कोई आगे नहीं आया। इसी बीच बिल्ली दिख गई और चूहों की सभा भाग-दौड़ में खत्म हो गई।
आज यही कहानी कौशांबी के वर्तमान जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के दौर में सच साबित हो रही है। कभी अखबारों में पढ़ा था कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी सादगी में, देहाती वेशभूषा में, साइकिल से थाने में रिपोर्ट लिखाने पहुंचे थे। पुलिस ने उन्हें आम आदमी समझकर वैसा ही व्यवहार किया जैसा अक्सर थानों में होता है।
अचानक जिला मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण
इसी तरह, आज जिला अधिकारी कौशांबी मधुसूदन हुल्गी सरकारी गाड़ी छोड़कर मोटरसाइकिल से अचानक जिला मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने पहुंच गए। डॉक्टर और कर्मचारी उन्हें पहचान ही नहीं पाए कि ये डीएम साहब हैं या कोई मरीज। जैसे ही उन्होंने कमरे में घुसकर हाजिरी रजिस्टर मांगा, तो कर्मचारी सोच में पड़ गए। बाद में पता चला कि ये तो डीएम साहब हैं। तुरंत सबके पसीने छूट गए। जो अनुपस्थित मिला उसे गैरहाज़िर दर्ज कर वेतन काटने का आदेश दे दिया और कईयों को कारण बताओ नोटिस थमा दिया। बाद में उनकी हूटर वाली सरकारी गाड़ी पीछे से पहुंची, तो लोगों को और हैरानी हुई कि ड्राइवर तो गाड़ी में अकेला है, डीएम साहब कहां हैं? पता चला कि साहब अंदर निरीक्षण कर रहे हैं।
डीएम साहब की आदत है कि कभी भी बिना सूचना मौके पर पहुंच जाते हैं, जबकि आमतौर पर दूसरे अधिकारी अधीनस्थों से रिपोर्ट मंगवाते हैं। यहां तक कि उनके साथ रहने वाले स्टेनो और ड्राइवर को भी नहीं पता होता कि वे कब, कहां और क्या करने वाले हैं। इसी दिन पुलिस अधीक्षक कौशांबी राजेश कुमार ने भी अचानक औचक निरीक्षण करने का मन बना लिया। बिना वायरलेस पर सूचना दिए वह सीधे थाना संदीपन घाट और कोखराज पहुंच गए। अचानक गाड़ी आते ही थानों में खलबली मच गई। कोई बिना टोपी के था, तो कोई हवाई चप्पल पहने बैठा था। लेकिन निरीक्षण के डर से सब फटाफट वर्दी और टोपी पहनकर ड्यूटी पर मुस्तैद हो गए।
खाने की गुणवत्ता देखी
किस्मत से निरीक्षण में कोई बड़ी कमी नहीं मिली, वरना कई सिपाहियों और दारोगाओं की खैर नहीं थी। एसपी साहब थाने के ऑफिस तक ही नहीं रुके बल्कि भोजनालय में भी गए और वहां के खाने की गुणवत्ता देखी, जो सही पाई गई। उन्होंने गेट और सामने की सफाई देखकर ही संतोष नहीं किया, बल्कि पीछे का इलाका भी चेक किया कि कहीं वहां गंदगी तो नहीं है। जब तक निरीक्षण चलता रहा, थाने के कर्मचारी मन ही मन हनुमान चालीसा पढ़ते रहे और शायद उसी की कृपा थी कि सब बच गए।
खबर फैलते ही पत्रकार भी थाने के बाहर मजा लेने पहुंचे और सिपाहियों से पूछने लगे कप्तान साहब आए थे? कुछ लिखापढ़ी तो नहीं हुई? तो सिपाही धीरे से कान में कहते, भाई साहब, इस समय नौकरी से अच्छा तो तेल बेचना है। नौकरी इसलिए करते हैं कि थोड़ा ठाट-बाट रहे, आराम मिले, लेकिन अब तो आराम हराम हो गया है। पहले जब अधिकारियों की गाड़ी दूर से आती थी, तो हूटर बजना शुरू हो जाता था और कर्मचारी सावधान हो जाते थे। लेकिन आज डीएम साहब हूटर वाली गाड़ी को पीछे छोड़कर मोटरसाइकिल से पहुंचे और एसपी साहब भी बिना हूटर बजाए थाने के अंदर घुस गए।
अब ऐसे में तो वही चूहों की सभा वाली कहानी याद आ जाती है, बस, कौन जाकर दोनों साहबों से कहे कि जब निरीक्षण करने आएं, तो थोड़ी दूरी से ही हूटर बजा दें, ताकि कर्मचारी समय रहते अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद हो जाएं ।
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