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Lakhimpur Kheri: लखीमपुर खीरी में खाद संकट गहराया: मंत्रियों के दावों के उलट, कालाबाजारी और तस्करी जारी
Lakhimpur Kheri: हाल ही में जिले के दो मंत्रियों ने दावा किया था कि खाद की कोई कमी नहीं है, लेकिन "न्यूज ट्रैक" की टीम जब ग्राउंड जीरो पर पहुंची, तो सरकारी आंकड़े पूरी तरह से बेमानी साबित हुए।
लखीमपुर खीरी में खाद संकट गहराया: मंत्रियों के दावों के उलट, कालाबाजारी और तस्करी जारी (Photo- Newstrack)
Lakhimpur Kheri: लखीमपुर खीरी जिले में खाद की उपलब्धता को लेकर जिला प्रशासन और मंत्रियों के दावों के बावजूद, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। हाल ही में जिले के दो मंत्रियों ने दावा किया था कि खाद की कोई कमी नहीं है, लेकिन "न्यूज ट्रैक" की टीम जब ग्राउंड जीरो पर पहुंची, तो सरकारी आंकड़े पूरी तरह से बेमानी साबित हुए। जिले में खाद की कालाबाजारी और तस्करी बड़े पैमाने पर जारी है, जिससे किसानों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
खाद वितरण में अनियमितताएं:
"न्यूज ट्रैक" की टीम जब खाद की हकीकत जानने साधन सहकारी समिति अबगामा पहुंची, तो यहां का मामला चौंकाने वाला निकला। समिति में कार्यरत राम सजीवन यादव पर आरोप है कि उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर ढाई सौ बोरी खाद गुपचुप तरीके से अपने खास लोगों को सुबह 5 बजे ही बेच दी। इस मामले की भनक समिति के सचिव शारदा को भी नहीं लगी। ग्राम अबगामा निवासी श्रीराम यादव, राजेश कुमार, अनूप गौतम सहित सैकड़ों किसानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि समिति के कर्मचारी बड़े किसानों और प्रभावशाली लोगों के घरों से "टिफिन में माखन और रोटी" खा रहे हैं, यही कारण है कि उन्हें बिना नियम-कानून के खाद दी जा रही है।
औद्योगिक उपयोग में यूरिया का दुरुपयोग:
भले ही कागजों पर जिले में खाद की कमी न हो, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जिले में चल रही प्लाईवुड की फैक्ट्रियां यूरिया खाद से गोंद बनाकर प्लाईवुड के तत्वों को चिपकाने का काम कर रही हैं। कई ऑटो चालकों ने बताया कि यह खाद रामपुर और महेवा गंज की प्रतिष्ठित दुकानों से आता है और प्लाईवुड व्यवसायी इसे ₹450 प्रति बोरी की दर से खरीदते हैं, जबकि इसका एमआरपी कहीं कम है। यह स्पष्ट रूप से यूरिया के औद्योगिक उपयोग को दर्शाता है, जिससे कृषि के लिए इसकी उपलब्धता और भी कम हो जाती है।
बॉर्डर पर खाद की तस्करी: सुरक्षा एजेंसियों की बेबसी?
भारतीय खाद की तस्करी का मामला भी गंभीर है। बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा एजेंसियों (जैसे एसएसबी) की नाक के नीचे से भारतीय खाद पड़ोसी मित्र मुल्क नेपाल पहुंच रही है, जिससे वहां की फसलें लहलहा रही हैं।
कई बार बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा बल के लोगों द्वारा बड़े खाद तस्करों को पकड़ने का दावा किया गया, लेकिन यह दावा भी खोखला निकला। अक्सर, वे केवल साइकिल पर दो बोरी खाद ले जाने वाले छोटे तस्करों को पकड़कर फोटो खिंचवाकर अपनी पीठ थपथपाते हैं, जबकि असली और बड़े तस्करों तक पहुंचने में सुरक्षा एजेंसियां खुद को बेबस पा रही हैं।
यह स्थिति दर्शाती है कि लखीमपुर खीरी में खाद वितरण प्रणाली में गहरे भ्रष्टाचार और खामियां मौजूद हैं, जिनका खामियाजा सीधे तौर पर किसानों को भुगतना पड़ रहा है। मंत्रियों के दावों और जमीनी हकीकत के बीच यह विरोधाभास प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
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