Kanpur News: आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट से खुला नदियों का दर्द, अब बनेगी नई नीति

Kanpur News: IIT कानपुर की रिपोर्ट में रेत खनन के गंभीर असर उजागर, जल शक्ति मंत्रालय नई नीति लाने की तैयारी में।

Avanish Kumar
Published on: 7 Oct 2025 3:04 PM IST
Kanpur News: आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट से खुला नदियों का दर्द, अब बनेगी नई नीति
X

आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट से खुला नदियों का दर्द  (photo: social media )

Kanpur News: देश की नदियों में बढ़ते रेत खनन के असर को समझने और नियंत्रित करने के लिए आईआईटी कानपुर और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने मिलकर एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अध्ययन पूरा किया है। इस अध्ययन रिपोर्ट को 29 सितंबर 2025 को जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने नई दिल्ली में जारी किया। इस अवसर पर जल शक्ति मंत्रालय के सचिव वी. एल. कांताराव ने कहा कि अध्ययन के निष्कर्षों को राज्यों की भागीदारी से पूरे देश में लागू किया जाएगा ताकि नदियों की पारिस्थितिकी सुरक्षित रह सके।

यह अध्ययन आईआईटी कानपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रो. राजीव सिन्हा के नेतृत्व में किया गया है। अध्ययन में सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन सर्वे और आधुनिक मॉडलिंग तकनीकों की मदद से यह विश्लेषण किया गया कि अनियंत्रित रेत खनन नदियों की धारा, तट संरचना और भूजल पुनर्भरण पर कितना नकारात्मक असर डाल रहा है।

रेत खनन को विज्ञान आधारित नीति से नियंत्रित किया जाए

प्रो. राजीव सिन्हा ने कहा कि अब समय आ गया है कि रेत खनन को विज्ञान आधारित नीति से नियंत्रित किया जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि रेत खनन केवल उन्हीं क्षेत्रों में किया जाए जहां नदी खुद को पुनः भरने की प्राकृतिक क्षमता रखती है। इससे पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा और नदी तंत्र को नुकसान नहीं पहुंचेगा।

एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय की मौजूदा गाइडलाइंस को आईआईटी कानपुर की वैज्ञानिक सिफारिशों के साथ जोड़कर लागू किया जाना चाहिए। इससे नीति अधिक प्रभावी और व्यावहारिक बनेगी।

अध्ययन में यह भी बताया गया है कि रेत खनन नियंत्रण के लिए एक समग्र योजना (Holistic Plan) की आवश्यकता है, जिसमें बाढ़ जोखिम, तट कटाव और भूजल पुनर्भरण जैसे पहलुओं को समान रूप से शामिल किया जाए। प्रो. सिन्हा ने सुझाव दिया कि आधुनिक तकनीकों जैसे ड्रोन सर्वे, सैटेलाइट इमेजिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके नदियों की नियमित निगरानी की व्यवस्था की जानी चाहिए।

प्रमुख नदियों में पायलट प्रोजेक्ट

अध्ययन में प्रस्ताव रखा गया है कि हिमालयी और दक्षिणी भारत की कुछ प्रमुख नदियों में पायलट प्रोजेक्ट चलाकर एक “सैंड माइनिंग मॉनिटरिंग मॉड्यूल (SaMM)” विकसित किया जाए, जिसे आगे चलकर पूरे देश में लागू किया जा सके।

एनएमसीजी ने कहा कि इस दिशा में राज्यों के संबंधित विभागों की ट्रेनिंग, जन जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी को भी बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि रेत खनन पर नियंत्रण के साथ नदियों का सतत संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।

1 / 5
Your Score0/ 5
Monika

Monika

Mail ID - [email protected]

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!