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UP पॉलिटिक्स में करणी सेना की एंट्री ! लड़ेगी पंचायत-विधान सभा चुनाव, क्या होगा सियासी समीकरणों पर असर ?
Karani Sena entry in UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक और नई पार्टी की एंट्री होने वाली है। जहां सभी प्रमुख राजनीतिक दल पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं, तो वहीं अब करणी सेना ने भी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है।
Lucknow News: Photo-Social Media
UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक और नई पार्टी की एंट्री होने वाली है। जहां सभी प्रमुख राजनीतिक दल पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं, तो वहीं अब करणी सेना ने भी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है। बीते दिनों करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राकेश रघुवंशी ने कहा कि उनका संगठन न केवल आगामी पंचायत चुनाव लड़ेगा, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव में भी अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगा।
स्थानीय स्तर पर शुरू हुई तैयारियां, पंचायत से लेकर जिला स्तर तक उतरेंगे उम्मीदवार
राकेश रघुवंशी ने कहा कि करणी सेना उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों को लेकर पूरी तरह तैयार है और बहुत जल्द इसकी आधिकारिक घोषणा की जाएगी। उन्होंने बताया कि संगठन ने गांव-गांव में अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है और स्थानीय समस्याओं को लेकर जनजागरण अभियान तेज कर दिया गया है। उनका कहना है कि करणी सेना ग्राम पंचायतों से लेकर जिला पंचायतों तक अपने उम्मीदवार उतारेगी।
2027 विधानसभा चुनाव को भी बनाया लक्ष्य, सभी बड़ी पार्टियों की बढ़ी चिंता
करणी सेना के इस राजनीतिक फैसले ने भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी जैसे दिग्गज दलों की चिंता बढ़ा दी है। राकेश रघुवंशी ने स्पष्ट कहा कि पंचायत चुनाव के बाद करणी सेना की नजर सीधे विधानसभा चुनाव पर होगी। उन्होंने कहा कि अब हम केवल आंदोलन तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि राजनीतिक हिस्सेदारी भी सुनिश्चित करेंगे।
राजपूत वोट बैंक पर नजर, राजनीतिक दलों के लिए बन सकती है बड़ी चुनौती
गौरतलब है कि करणी सेना पहले से ही राजपूत समाज में मजबूत पकड़ के लिए जानी जाती है। कई सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर आंदोलन कर चुकी यह संस्था अब चुनावी राजनीति में उतर कर वोटों के समीकरणों को प्रभावित कर सकती है। राजनीतिक जानकरों का मानना है कि करणी सेना की सक्रियता से खासकर पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश के उन क्षेत्रों में असर पड़ेगा, जहां राजपूतों की आबादी प्रभावशाली है।
हाल के आंदोलनों से बढ़ी सक्रियता, अब सियासी मंच पर परख की बारी
करणी सेना ने हाल ही में समाजवादी पार्टी सांसद रामजी लाल सुमन के राणा सांगा पर दिए विवादास्पद बयान के खिलाफ आगरा में प्रदर्शन कर अपनी राजनीतिक सक्रियता का संकेत दिया था। अब जब संगठन ने चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है, तो यह साफ हो गया है कि उसकी सियासी महत्वाकांक्षाएं बढ़ रही हैं।
हालांकि करणी सेना को एक बड़ी राजनीतिक ताकत बनने के लिए केवल राजपूत वोटों के भरोसे नहीं रहना होगा। उन्हें अन्य समुदायों और जातियों का भी विश्वास जीतना होगा। पंचायत चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन से यह तय होगा कि क्या वह राज्य की सियासत में स्थायी खिलाड़ी बन पाएगी या नहीं।
राजनीतिक हलचल तेज, सभी की नजरें करणी सेना की रणनीति पर
करणी सेना के इस ऐलान के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नई सरगर्मी पैदा हो गई है। अब देखना दिलचस्प होगा कि संगठन कितने उम्मीदवार उतारता है, कैसी रणनीति अपनाता है और जनता का कितना समर्थन हासिल कर पाता है। एक आंदोलनकारी संगठन से सियासी दल बनने की इस यात्रा में करणी सेना का हर कदम अब सुर्खियों में रहेगा।
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