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सपा में संग्राम! यूपी में सपा नेता ने अपने ही लोगों का कह डाला ‘चोर’
UP Politics: जिलाध्यक्ष विपिन चौधरी ने कहा कि वह इसी शहर में पले-पढ़े हैं और यहां की हकीकत को भलीभांति जानते हैं। वह हमेशा इस जिले और यहां के लोगों के लिए संघर्ष करेंगे।
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UP Politics: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव भले ही साल 2026 में होने वाले हो। लेकिन पंचायत चुनाव को लेकर सियासत सूबे में अभी से शुरू हो गयी। एक तरफ जहां सियासी दल एक दूसरे पर वार कर रहे हैं। वहीं कुछ दलों में अन्तर्कलह भी शुरू हो गयी। नेता अपने ही दल के नेताओं पर हमला करने से नहीं चूक रहे हैं। यूपी में पंचायत चुनाव से पहले अन्तर्कलह का एक नजारा मेरठ जनपद में देखने को मिला।
यहां समाजवादी पार्टी कार्यालय की समीक्षा बैठक के दौरान जिलाध्यक्ष विपिन चौधरी ने अपने ही नेताओं पर निषाना साधा। सपा जिलाध्यक्ष विपिन चौधरी बैठक में शामिल न होने वाले नेताओं पर इस कदर भड़क गये कि उन्होंने यह कह डाला कि ऐसे नेताओं का कामकाज महज दिखावा भर है। यहीं नहीं उन्होंने बैठक में शामिल न होने वाले नेताओं को ‘चोर’ तक करार दे दिया।
जिलाध्यक्ष विपिन चौधरी ने कहा कि वह इसी शहर में पले-पढ़े हैं और यहां की हकीकत को भलीभांति जानते हैं। वह हमेषा इस जिले और यहां के लोगों के लिए संघर्ष करेंगे। सपा कार्यालय में समीक्षा बैठक में दौरान उपस्थित न होने वाले नेताओं का नाम लेते हुए वह उन पर भड़क गये और कहा कि ऐसे नेता खुद को कार्यकर्ता नहीं बल्कि उम्मीदवार समझते हैं। वह यह कहते हैं कि सपा को तो यहां कोई संगठन ही नहीं है।
कार्यकर्ताओं का बढ़ाया हौसला
सपा कार्यालय में समीक्षा बैठक के दौरान जिलाध्यक्ष विपिन चौधरी ने कार्यकर्ताओं का उत्साह भी बढ़ाया। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव भले ही अगले साल होने वाले हो। लेकिन आप सभी पंचायत चुनाव की तैयारियों में अभी से जुट जाएं। उन्होंने कार्यकर्ताओं को समर्थन देने की बात भी कही। समीक्षा बैठक में शामिल न होने वाले नेताओं पर जुबानी वार करते हुए उन्होंने कहा कि जब अखिलेश यादव दिल्ली आते हैं तो वह उनसे मिलने पहुंच जाते हैं। लकिन जमीन पर संघर्ष केवल कार्यकर्ता ही करते हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल माना जा रहा है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल पंचायत चुनाव में परचम लहराने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। पंचायत चुनाव से पहले सपा में अन्तर्कलह बढ़ी तो इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है।
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