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Kasganj News: रामलीला मंचन में अश्लील नृत्य से हंगामा
गंजडुंडवारा में भगवान श्रीराम की लीला के दौरान बार बालाओं से अश्लील नृत्य कराया गया
Ram Lila Ashlil Dance (image from Social Media)
Kasganj News: जनपद के गंजडुंडवारा कस्बे से बेहद शर्मसार करने वाली खबर सामने आई है जहाँ श्रीराम लीला मंचन केंद्र पंचायती बाग के मंच पर उपस्थित मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की लीला के दौरान आयोजकों द्वारा बार बालाओं से अश्लीलता भरे गानों पर उपस्थित धर्म प्रेमियों के बीच फूहड़ नृत्य कराकर मर्यादा के नाम पर जमकर अमर्यादित कार्य किया है, मंच के सामने बड़ी संख्या मैं महिलाएं, लड़कियां और धर्म प्रेमी बुजुर्गों की उपस्थिति थी, इसको लेकर बाज़ार मैं चर्चाओं का दौर चल रहा है कि अब कलियुग मैं रामलीला मंचन के नाम पर रासलीला का आयोजन होने लगा है, वहीँ कमेटी से जुड़े लोग इस कृत्य पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं,
जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।।
संत तुलसीदास द्वारा लिखित श्री रामचरित मानस मैं, भगवान बाल्मीकि द्वारा रचित बाल्मीकि रामायण मैं इस प्रकार की लीला का कहीं वर्णन नही है, भगवान श्री विष्णु के अवतार श्री राम ने मनुष्य को जीवन जीने की नीति और रीति को दरसाया है उन्होंने जीवन के सभी अंगों के बारे मैं स्वयं करके दिखाया कि लोकाचारों के कारण एक राजा को राजधर्म निभाने के लिए अपनी अर्धांगिनी तक को वन मैं छोड़ना होता है, अहंकार चाहे धर्म का हो,अधर्म का हो,ज्ञान का हो,वैराग्य का हो,अर्थ का हो,धन का हो,मोह का हो उसे नष्ट होना ही होता है चाहे वह कितने ही शक्तिशाली मनुष्य के पास क्यों न हो, श्री राम चरित मानस के मर्मज्ञ दंडी स्वामी ने बताया कि भूलोक मैं मानव का चरित्र कैसा हो इसके बारे मैं रामायण से बड़ा महाकाव्य पूरी दुनिया मैं दूसरा कोई नही है, मर्यादा के नाम पर ऐसे आयोजन बिल्कुल नही होने चाहिए, अगर किसी आयोजन कर्ता को ऐसे नृत्य कराने की इच्छा हो तो वो श्रीराम लीला मंचन के अतिरिक्त कहीं और भी करा सकते हैं, ये धार्मिक भावनाओं और मान्यताओं के विरुद्ध आचरण है इसकी वो निंदा करते हैं।
श्रीरामलीला मंचन मैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रीराम का जन्म, ताडिका बध, वैदेही संग ब्याह, कैकेयी वरदान, श्रीराम का वनगमन, केवट राम संवाद,सूपर्णखा का अपमान, खर दूषण बध, रावण द्वारा सीता हरण, सुग्रीव राम की मित्रता, हनुमानजी द्वारा लंका गमन और लंका दहन, श्री रामसेतु का निर्माण, रावण वध, भरत मिलाप और श्रीराम की गद्दी जैसे प्रमुख चरित्रों का सजीव वर्णन किया जाता है, आज भी बड़ी संख्या मैं शारदीय नवरात्रि के पूर्ण होने पर देश के विभिन्न भागों मैं ये चरित्र निभाने और दरसाने के लिए जगह जगह श्रीरामलीला का मंचन होता है, आधुनिकता की बयार मैं बहे मनुष्य ये नही समझते है कि श्री राम हमारी प्राण वायु है उनके विना हमारा शरीर मृत व्यक्ति के समान होता है।
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