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लखनऊ में 'आई लव मोहम्मद' पर हंगामा, हनुमान चालीसा पढ़ मुस्लिम महिलाओं ने पूछा-'क्या मुसलमानों का...'
लखनऊ में 'आई लव मोहम्मद' विवाद ने तूल पकड़ लिया। आम आदमी पार्टी की नेता इरम रिजवी के नेतृत्व में मुस्लिम महिलाओं ने हनुमान चालीसा पढ़कर प्रदर्शन किया और सवाल उठाया कि क्या मुसलमानों का यहां रहना गुनाह है?
Photo Credit: Ashutosh Tripathi
Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 'आई लव मोहम्मद' मामले को लेकर सियासी और धार्मिक माहौल गरमा गया है। मंगलवार को मुस्लिम महिलाओं ने हनुमान चालीसा पढ़कर और धार्मिक नारे लगाते हुए प्रदर्शन किया। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर इस देश में 'जय श्री राम' बोलने का अधिकार है तो 'आई लव मोहम्मद' क्यों नहीं बोल सकते? यह प्रदर्शन आम आदमी पार्टी (आप) की नेता इरम रिजवी के नेतृत्व में हुआ जिन्हें पहले पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर लिया था।
अलमास कॉलोनी से इमामबाड़ा तक 'पैदल मार्च'
इरम रिजवी ने अलमास कॉलोनी स्थित अपने घर से छोटा इमामबाड़ा तक पैदल मार्च निकालने का ऐलान किया था लेकिन पुलिस ने उन्हें पहले ही रोक दिया। दोपहर में ही पुलिस ने उन्हें घर में नजरबंद कर दिया। हालांकि शाम करीब छह बजे वह करीब तीन दर्जन महिलाओं के साथ पैदल मार्च पर निकल पड़ीं। पुलिस ने उन्हें छोटा इमामबाड़ा से करीब 500 मीटर पहले ही रोक दिया और समझाकर वापस भेजा। प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने कहा कि वे अपने पैगंबर मोहम्मद साहब के लिए अपनी जान दे सकती हैं।
'संविधान से चलेगा या गुंडागर्दी से?'
प्रदर्शन कर रही इरम रिजवी ने पुलिस की कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा "हमको घर में नजरबंद कर दिया गया लेकिन हम लोग रुकने और डरने वाले नहीं हैं। अपने पैगंबर के नाम पर जान दे देंगे।" उन्होंने कहा "इस देश में जय श्री राम बोलने का अधिकार है तो आई लव मोहम्मद क्यों नहीं बोल सकते हैं? यह देश संविधान से चलेगा या गुंडागर्दी से?" इरम रिजवी ने हनुमान चालीसा का पाठ सुनाते हुए कहा कि क्या मुसलमानों का यहां रहना गुनाह है? उन्होंने कानपुर में 'आई लव मोहम्मद' पोस्ट को लेकर हुई एफआईआर का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि अलग-अलग धर्म वाले अपने पोस्टर लगाते हैं और जय श्री राम का भी नारा लगाते हैं तो उससे किसी को आपत्ति नहीं होती।
'हर धर्म को अधिकार है'
प्रदर्शन में शामिल जैनब नाम की एक महिला ने कहा "हम लोग किसी पार्टी से नहीं हैं बल्कि अपने पैगंबर के लिए आवाज उठा रहे हैं।" उन्होंने कहा कि जिस पोस्ट का विरोध हुआ आज वे उसी पोस्ट को सीने से लगाए हुए हैं और दुनिया को यह बताना चाहते हैं कि हर धर्म को अपने पैगंबर और धार्मिक हस्तियों का नाम लेने का अधिकार है। यह घटना दिखाती है कि कैसे सोशल मीडिया पर शुरू हुआ एक विवाद अब सड़कों तक पहुंच गया है और राजनीतिक और धार्मिक रूप ले रहा है।
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