Kaushambi News: जाली दस्तावेज़ बनाने वाले को 7 वर्ष का कठोर कारावास, ₹20,000 का अर्थदंड

Kaushambi News: कौशाम्बी में फर्जी दस्तावेज़ बनाकर संपत्ति पर अवैध कब्जा करने की कोशिश करने वाले आरोपी राकेश कुमार को न्यायालय ने दोषी करार देते हुए 7 वर्ष के कठोर कारावास और ₹20,000 अर्थदंड से दंडित किया है।

Ansh Mishra
Published on: 10 Oct 2025 10:11 PM IST
Kaushambi News: जाली दस्तावेज़ बनाने वाले को 7 वर्ष का कठोर कारावास, ₹20,000 का अर्थदंड
X

Kaushambi News

Kaushambi News: थाना कड़ा धाम क्षेत्र के अंतर्गत सौरई बुजुर्ग गांव निवासी राकेश कुमार को फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर संपत्ति पर अवैध कब्जा करने की कोशिश के मामले में न्यायालय ने दोषी करार दिया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, कौशाम्बी की अदालत ने आरोपी को 7 वर्ष के कठोर कारावास और ₹20,000 के अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड जमा न करने की स्थिति में उसे अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

प्रकरण के अनुसार, पीड़िता राजू देवी सौरई बुजुर्ग निवासी स्वर्गीय शिवसेवक की इकलौती पुत्री हैं। उनके पिता का निधन 16 जून 1997 को हो गया था। पिता की मृत्यु के पश्चात उनकी पैतृक संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा करने की नियत से विपक्षी राकेश कुमार ने 20 सितंबर 1997 को एक फर्जी और अपंजीकृत वसीयतनामा तैयार कर लिया, जो पूरी तरह जालसाजी पर आधारित था।

इस मामले में पीड़िता द्वारा वर्ष 2017 में परिवाद संख्या 5041 के अंतर्गत माननीय सीजीएम न्यायालय, कौशाम्बी में शिकायत दर्ज कराई गई थी। न्यायालय द्वारा विचारोपरांत 17 अप्रैल 2018 को राकेश कुमार को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 419 (प्रतिरूपण), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखा देने के उद्देश्य से जालसाजी) तथा 471 (जाली दस्तावेज़ का उपयोग) के तहत आरोपित करते हुए जेल भेज दिया गया था।

इसके बाद राकेश कुमार द्वारा दायर की गई जमानत याचिका क्रमशः जनपद न्यायाधीश, कौशाम्बी, उच्च न्यायालय इलाहाबाद तथा अंततः सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी खारिज कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने 3 फरवरी 2025 को अपनी टिप्पणी में यह निर्देश दिया कि इस मुकदमे का शीघ्र निस्तारण किया जाए।सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुपालन में आज मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, कौशाम्बी की अदालत ने राकेश कुमार को उपरोक्त धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए 7 वर्षों के कठोर कारावास और ₹20,000 के अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड न जमा करने की स्थिति में उसे अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।यह निर्णय पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, साथ ही यह संदेश देता है कि कानून से ऊपर कोई नहीं।

1 / 5
Your Score0/ 5
Shalini singh

Shalini singh

Mail ID - [email protected]

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!