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Kaushambi News: मनरेगा भुगतान के बाद ब्लॉकवार रिश्वतखोरी का ऑडियो वायरल, अधिकारियों की मिलीभगत से संविदा कर्मियों की वसूली जारी
Kaushambi News: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत भुगतान के बाद ब्लॉक स्तर पर फैली रिश्वतखोरी की जड़ें अब खुलकर सामने आ रही हैं।
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Kaushambi News: जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत भुगतान के बाद ब्लॉक स्तर पर फैली रिश्वतखोरी की जड़ें अब खुलकर सामने आ रही हैं। हाल ही में वायरल हुए एक ऑडियो में कड़ा विकासखंड के तकनीकी सहायक योगेंद्र यादव एक ग्राम प्रधान से खुलेआम 20% कमीशन की मांग करते हुए सुने जा सकते हैं।
इसी तरह, नेवादा में कंप्यूटर ऑपरेटर चंद्रप्रकाश, कौशांबी में अरविंद सिंह, सिराथू में प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़े कंप्यूटर ऑपरेटर अभिमन्यु, और मूरतगंज में लेखा सहायक रवि शंकर जैसे संविदा कर्मियों पर भी प्रधानों से योजनागत राशि में कटौती की मांग करने के गंभीर आरोप हैं।सूत्रों के अनुसार, यह वसूली भुगतान के तुरंत बाद "कमाऊ पूतों" या "कारखास" लोगों के माध्यम से की जाती है, जो ब्लॉक स्तर पर इन योजनाओं का संचालन करते हैं। ये कर्मचारी पिछले 8 से 15 वर्षों से मनरेगा में तैनात हैं, और इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती क्योंकि ये जिलास्तरीय अधिकारियों और सत्ताधारी वर्ग के प्रभावशाली लोगों से जुड़े होते हैं।जानकारी सामने आई है कि इन कर्मचारियों के खिलाफ तैयार की गई शिकायत पत्रावलियां जिला प्रशासन को सौंपने से पहले ही डीसी मनरेगा द्वारा रोक दी जाती हैं, जिससे जांच प्रक्रिया ठप हो जाती है।
यदि कोई ईमानदार जिलाधिकारी इन कर्मचारियों की आय, व्यय और संपत्ति की निष्पक्ष जांच कराए, तो कौशांबी समेत आस-पास के जिलों में फैली अकूत अवैध संपत्तियों का पर्दाफाश हो सकता है।यह पूरा मामला केंद्र सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति "जीरो टॉलरेंस" नीति पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। यदि समय रहते इस भ्रष्ट तंत्र पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो यह ग्रामीण विकास योजनाओं की साख और प्रभावशीलता दोनों को प्रभावित कर सकता है।
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