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Kushinagar News: भारी बारिश से कुशीनगर में जनजीवन अस्त-व्यस्त
Kushinagar News: तेज हवा और बारिश के चलते खेतों में खड़ी गन्ना और धान की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुईं। धान की फसल पककर कटाई के लिए तैयार थी, लेकिन बारिश और आंधी ने उसे गिरा दिया।
Kushinagar Rain (photo: social media )
Kushinagar News: शनिवार की सुबह से हो रही लगातार बारिश और तेज हवाओं ने पूरे जनपद का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। सुबह भोर से ही आसमान में काले बादल छा गए और देखते ही देखते तेज हवा के साथ मूसलधार बारिश शुरू हो गई, जो देर शाम तक रुक-रुक कर जारी रही। इस अप्रत्याशित बारिश ने जहां आम जनजीवन को प्रभावित किया, वहीं किसानों के लिए यह दोहरी मार साबित हुई।
खेतों में गिरी गन्ना और धान की फसलें
तेज हवा और बारिश के चलते खेतों में खड़ी गन्ना और धान की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुईं। धान की फसल पककर कटाई के लिए तैयार थी, लेकिन बारिश और आंधी ने उसे गिरा दिया। किसानों का कहना है कि गिरी हुई धान की बालियों में पानी भरने से अनाज की गुणवत्ता खराब हो जाएगी, जिससे बाजार में उचित दाम मिलना मुश्किल हो जाएगा। दूसरी ओर गन्ने की फसल भी झुक जाने से उसकी कटाई और पेराई प्रभावित होगी।
बारिश से किसानों पर डबल मार
इस सीजन में कुशीनगर की उपजाऊ मिट्टी में गन्ना, धान और केला की भरपूर खेती की गई थी। मानसून के दौरान बारिश कम होने से किसान पहले ही परेशान थे और उन्होंने कृत्रिम सिंचाई साधनों—पंपसेट, ट्यूबवेल और डीजल इंजन के सहारे अपनी फसल को किसी तरह बचाए रखा। लेकिन अचानक हुई इस भारी बारिश और तेज हवा ने किसानों की कमर तोड़ दी। अब किसानों को डर है कि गिरी हुई फसलें सड़ जाएंगी, जिससे उनकी लागत भी नहीं निकल पाएगी। केले की बागानों में भी कई जगह पौधे टूटकर गिर गए हैं, जिससे बागवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
शहर और गांवों में जलभराव, स्कूल बंद
इधर बारिश से नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह जलभराव हो गया है। सड़कों पर पानी भरने और पेड़ गिरने से यातायात बाधित रहा। कई इलाकों में सुबह से ही बिजली गुल रही, जिससे लोगों की मुश्किलें और बढ़ गईं। भारी बारिश को देखते हुए अधिकांश स्कूलों में अवकाश कर दिया गया। बच्चे और अभिभावक घरों में ही कैद रहे। बाजारों में भी सुस्ती रही।
किसान बोले मेहनत पर पानी फिर गया
नगर और ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों का कहना है कि वे पूरे मौसम भर सिंचाई में खर्च करते रहे। डीजल और बिजली का दाम बढ़ने से लागत पहले ही आसमान छू रही थी। अब जब फसल तैयार हुई तो प्राकृतिक आपदा ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया।
किसान ने बताया कि धान की फसल इस बार बड़ी उम्मीद से बोई थी। पानी की कमी से हमने खुद सिंचाई की, अब जब फसल कटने को थी तभी यह बारिश और आंधी आ गई। आधा खेत तो पानी में गिर गया है। अब न तो धान सही बचेगा और न ही गन्ने का फसल ।यह बारिश किसानों के लिए केवल प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि आर्थिक संकट लेकर आई है।
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