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JPNIC अब एलडीए के हवाले, अधूरी परियोजना में फिर से आएगी जान, जानें इस बहुउद्देशीय इमारत के बारे में सबकुछ
Lucknow News: जेपीएनआईसी की आधारशिला 2013 में समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रखी थी। यह एक ऐसा सांस्कृतिक, शैक्षिक और खेल गतिविधियों से जुड़ा इंटरनेशनल सेंटर बनने की परिकल्पना थी, जो जयप्रकाश नारायण की विचारधारा को समर्पित है।
JPNIC Lucknow (Photo: Social Media)
Lucknow News: राजधानी लखनऊ की बहुचर्चित और वर्षों से अधूरी पड़ी परियोजना जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) को आखिरकार नई दिशा मिल गई है। उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने गुरूवार को फैसला लेते हुए जेपीएनआईसी संचालन के लिए बनी सोसाइटी भंग कर दिया। इसकी पूरी जिम्मेदारी लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को सौंप दी है। अब एलडीए इस महत्वाकांक्षी परियोजना को पीपीपी मॉडल के तहत आगे बढ़ाएगा।
समाजवादी पार्टी सरकार में कार्य शुरू
जेपीएनआईसी की आधारशिला 2013 में समाजवादी पार्टी सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रखी थी। यह एक ऐसा सांस्कृतिक, शैक्षिक और खेल गतिविधियों से जुड़ा इंटरनेशनल सेंटर बनने की परिकल्पना थी, जो जयप्रकाश नारायण की विचारधारा को समर्पित है। जेपीएनआईसी में 2016 तक एक संग्रहालय का कार्य लगभग पूरा हो चुका था। इसके बाद 2017 में सत्ता परिवर्तन हुआ और भाजपा सरकार आने के बाद परियोजना का कार्य बंद कर दिया गया था। इसी बीच जेपीएनआईसी राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप का भी केंद्र बन गया।
श्रद्धांजलि देने पर राजनीतिक विवाद
अखिलेश यादव के 2023–24 में जेपीएनआईसी पहुंचकर जयप्रकाश नारायण को श्रद्धांजलि देने पर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया था। तब एलडीए द्वारा परिसर को टीन की चादरों से घेरकर उन्हें प्रवेश से रोकने की असफल कोशिश की गई थी।लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार में 18 एकड़ भूमि में बनने वाले सेंटर के होटल ब्लॉक में 107 कमरे, 7 सुइट्स, 10 डॉर्मिटरी, स्पा, जिम, सैलून जैसी सुविधाएं उपलब्ध होती। इसमें सम्मेलन के लिए 2,000 सीटों वाला मुख्य कन्वेंशन हॉल, 1,000 सीटों वाला ऑडिटोरियम, 100 सीटों की क्षमता वाला सेमिनार हॉल था। खेल के लिए ओलिंपिक साइज स्विमिंग पूल, डाइविंग पूल, बैडमिंटन, टेनिस और मल्टीपर्पज़ कोर्ट्स आदि बनने थे।
डिजाइन सौरभ गुप्ता ने बनाया
इसके साथ ही म्यूजियम ऑफ सोशलिज़्म, ओपन-एयर थियेटर, हेलिपैड, 750 वाहनों की क्षमता वाली मल्टी-लेवल पार्किंग, भोजनगृह, कैफेटेरिया, लाइब्रेरी और डिजिटल प्रदर्शनी केंद्र बनना था। इस परियोजना का डिजाइन मशहूर आर्किटेक्ट सौरभ गुप्ता ने तैयार किया। इस डिज़ाइन मेें भवनों को ग्रीन स्पेस और खुली हवा के प्रवाह को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था। इसके अलावा परिसर में चार मुख्य अनुभवात्मक ज़ोन बनाए गए थे। उसमें विज़ुअल प्रोजेक्शन, होलोग्राम्स और डिजिटल इंस्टॉलेशन जैसे अत्याधुनिक माध्यमों से सामाजिक आंदोलनों और विचारधाराओं को प्रस्तुत किया जाना था।
एलडीए के हवाले पूरी जिम्मेदारी
अब जेपीएनआईसी की अधूरी परियोजना को एलडीए के माध्यम से पूरा किया जाएगा। एलडीए को इसके लिए पीपीपी मॉडल यानी का विकल्प अपनाने की अनुमति दी गई है। अब तक राज्य सरकार ने परियोजना पर 821.74 करोड़ रूपये खर्च किए हैं। यह राशि एलडीए को 30 वर्षों की अवधि में किस्तों में लौटानी होगी। एलडीए निजी क्षेत्र की किसी अनुभवी संस्था को कार्य सौंपने के लिए आरएफपी (Request for Proposal) जारी करेगा, ताकि अधूरी संरचना को पूरा करके उपयोग में लाया जा पाएं।
अब भी 100 करोड़ की जरूरत
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार जेपीएनआईसी में बचे हुए कार्यों को पूरा करने के लिए लगभग 100 करोड़ और खर्च करने की आवश्यकता है। एलडीए अब इस दिशा में प्रयास करेगा कि किस तरह प्रोजेक्ट पूरा किया जाए और संचालन प्रारंभ किया जाए। सरकार का उद्देश्य सेंटर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए प्रमुख स्थल बनाना है। सेंटर सभी प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों, सम्मेलनों व प्रदर्शनियों के लिए खुला रहे। यहां खेल व जलक्रीड़ा गतिविधियों हो पाएं। युवाओं और छात्रों के लिए सामाजिक और शैक्षिक प्रेरणा का केंद्र होगा। अभी व्याख्यान केंद्र का काम पूरा हो चुका है। जबकि मुख्य कन्वेंशन हॉल अधूरा है। होटल और पूल निर्माणाधी है। जबकि पार्किंग थियेटर हेलिपैडआंशिक रूप से तैयाtrर है।
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