Hindi Sammelan Vadodara: भाषाओं के समन्वय से मजबूत होगी देश की एकता : डॉ. दिनेश शर्मा

Vadodara Hindi Sammelan में डॉ. दिनेश शर्मा बोले—नई शिक्षा नीति क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व देती है, पीएम मोदी हिंदी और भारतीय भाषाओं के उन्नयन हेतु प्रतिबद्ध।

Newstrack Desk
Published on: 14 Sept 2025 8:38 AM IST
Hindi Sammelan Vadodara: भाषाओं के समन्वय से मजबूत होगी देश की एकता : डॉ. दिनेश शर्मा
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Hindi Sammelan Vadodara: राज्यसभा सांसद एवं यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री तथा हिंदी संसदीय प्रथम उपसमिति के अध्यक्ष डा दिनेश शर्मा ने कहा कि भाषाओं के मिलने से देश की एकता मजबूत होगी। भारत सरकार भारतीय भाषाओं के प्रयोग पर जोर दे रही है। हिन्दी और गुजराती तथा देश की अन्य क्षेत्रीय भाषाएं सगी बहनों की तरह है। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। हिन्दी भाषा एक समुद्र की तरह है जिसमें तमाम अन्य भाषाओं के शब्दो को आत्मसात किया गया है।

सांसद ने कहा कि भारत के बहुभाषी देश होने के बाद भी यहां पर 44 प्रतिशत लोग हिन्दी बोलते हैं। प्रधानमंत्री हिन्दी भाषा के उन्नयन के लिए प्रतिबद्ध है। गुजरात के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद हिन्दी भाषा के उत्थान के लिए सबसे अधिक कार्य देश के गुजरात के ही रहने वाले गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किया जा रहा है। उनके प्रयासों का परिणाम है कि भारत सरकार के काम काज में हिन्दी का प्रयोग 35 प्रतिशत से बढकर 65 प्रतिशत हो गया है। आज हिन्दी के उन्नयन में गुजरात की बडी भूमिका है।


डा शर्मा ने कहा कि देश में 22 भाषाओं को राजभाषा का एवं 11 भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला है। प्रधानमंत्री का अनूठा प्रयोग है कि देश में क्षेत्रीय भाषाओं और हिन्दी के बीच में तालमेल बढे जिससे देश की एकता और अधिक मजबूत हो सके। देश की नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं के प्रयोग को सर्वाधिक महत्व मिला है। अलग अलग भाषाओं के शब्दों का दूसरी भाषा में रूपान्तरण किया जा रहा है।


उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा में जो कुछ बोला जाता है वह शब्दों में व्यक्त हो जाता है पर जो बोलना चाह और ना बोल पाए वह भावनाओं को अभिव्यक्ति हैं। अभी हाल में भारत पर अमेरिका ने टैरिफ लगाया और इसी समय में प्रधानमंत्री की माता जी को लेकर टिप्पणी की गई पर प्रधानमंत्री ने इस पर कोई बात नहीं की कहा यह जाता है जो बोल सकते हैं चाहते हुए ना बोले वह शब्द की मर्यादा है प्रधानमंत्री जी ने इस मर्यादा का निर्वहन मौन रहकर किया और मर्यादा की बडी लकीर खींच दी। प्रधानमंत्री की मर्यादा के सम्मान का जवाब देश की जनता ऐसी टीका टिप्पणी करने वालों को पराजित करके देती है। विपक्ष तो ऐसा लगता है कि पराजित होने का रिकार्ड बनाने की ओर अग्रसर है। विपक्ष के नेता तो इस कदर सवेंदनहीन है कि वे हिमाचल और पंजाब में प्राकृतिक आपदा से परेशान लोगों को उनके हाल पर छोडकर विदेश में छुट्टी मनाने चले जाते हैं। इस प्रकार के लोगों से कोई अच्छी उम्मीद नहीं की जा सकती है।

पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों के समय में गुजरात का हाल बुरा और अपराध चरम पर था। भाजपा की सरकारों के समय में गुजरात ने तरक्की की राह पकडी और नरेन्द्र भाई के कमान संभालने के बाद तो ऐसा कमाल हुआ कि गुजरात देश में विकास का माडल बन गया।


उन्होंने कहा कि आज का आनन्द लेने के लिए अपने सुख की जिम्मेदारी खुद उठानी होगी। आज के समय में लोग पडोसी के सुख से सबसे अधिक दुखी है जबकि सर्वे भवन्तु सुखिना की भावना को जीवन का मंत्र बनाकर सबके सुख की कामना करनी चाहिए। जन्म और मृत्यु के बीच के समय को आनन्दमयी बनाने के लिए सदकार्य करना चाहिए। जीवन में धन से सुख की गारन्टी नहीं है पर इंसानियत से सुख की गारन्टी जरूर है। जीवन में मोक्ष जीते जी तब प्राप्त होता है जब इच्छाएं समाप्त हो जाती हैं। मनुष्य के जीवन में सब कुछ भगवान ही तय करते हैं और वे जो भी तय करते हैं सब अच्छा ही होता है। मनुष्य को केवल अपने लिये नहीं बल्कि सबके लिए जीना चाहिए। अंग्रेजों ने भारत पर लम्बे समय तक राज करने के उद्देश्य से भारत के लोगों में अंग्रेजियत पैदा करने का प्रयास किया था। आज उसका असर कही कही देखने को मिलता है कि जन्मदिन हैप्पी बर्थ डे होगया है और केक के ऊपर लगी मोमबत्ती को बुझाकर अंधकार करके केक काटकर जन्मदिन मनाया जाता है। भारतीय परम्परा में इस प्रकार से जन्मदिन मनाने का चलन नहीं था। यहां पर बांटने की नहीं बल्कि एक करने की संस्कृति है। गुजराती समाज ने अपनी संस्कृति और संस्कारों को बचाकर रखा है। आज पश्चिम के देश भी भारत की संस्कृति को अपना रहे हैं।


बदलते दौर में आधुनिकता की होड सम्बन्धों को भी प्रभावित कर रही है। हिन्दू धर्म में पति और पत्नी के अलगाव के लिए कोई शब्द नहीं है पर इस आधुनिकता के चलते वहां पर भी सात जन्म का बंधन कहा जाने वाला विवाह अब मात्र 7 दिन में ही अलगाव में बदल जा रहा है। ये गलत दिशा की ओर बढते कदम है। इनके पीछे समाज में पुरुष और महिलाओं के उत्पीडन तथा पाश्चात्य संस्कृत का प्रभाव भी बडा कारण है। सोशल मीडिया भी इस बिखराव का कारण बन रहा है।

वडोदरा, गुजरात में सूर्यकांत एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट एवं गुजराती बोल समाचार पत्र के संयुक्त तत्वाधान में हिंदी सम्मेलन एवं सूर्यकांत अवार्ड कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित होकर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले मनीषियों को सम्मानित किया।


इस अवसर पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्री राजेंद्र त्रिवेदी जी, बड़ोदरा भाजपा अध्यक्ष श्री जयप्रकाश सोनी जी, प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ मानिक नागेश जी, गुजराती बोल समाचार संपादक श्री खगेश शाह जी, जगतगुरु श्री वेंकटेशाचार्य जी, इस्कॉन मंदिर वडोदरा के उपाध्यक्ष संत श्री नित्यानंद रामदास जी एवं समस्त राजस्थानी समाज के अध्यक्ष श्री भंवरलाल शर्मा आदि उपस्थित रहे। बाद में डॉक्टर दिनेश शर्मा द्वारा पत्रकार बन्धुवों को संबोधित किया गया।

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