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मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने किया कमाल: दर्द और रक्त प्रवाह, जटिल सर्जरी कर बचाया मरीज का पैर
लखनऊ के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने 55 वर्षीय व्यक्ति को नया जीवन दिया। यूपी के जनपद आजमगढ़ के एक 55 वर्षीय व्यक्ति को पैर गंवाने का गंभीर खतरा था, लेकिन मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों की तत्परता और विशेषज्ञता ने उनका जीवन और पैर दोनों बचा लिए।
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Uttar Pradesh News: लखनऊ के मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने 55 वर्षीय व्यक्ति को नया जीवन दिया। यूपी के जनपद आजमगढ़ के एक 55 वर्षीय व्यक्ति को पैर गंवाने का गंभीर खतरा था, लेकिन मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों की तत्परता और विशेषज्ञता ने उनका जीवन और पैर दोनों बचा लिए। मरीज के बाएं पैर में गंभीर दर्द और रक्त प्रवाह में रुकावट के चलते उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता की आवश्यकता थी।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों के मुताबिक पिछले कई दिनों से मरीज को बाएं पैर में असहनीय दर्द, कमजोरी और कालेपन की समस्या थी। साथ ही वह पैर उठाने में भी असमर्थ थे। जब वह अस्पताल पहुंचे, तब उनका पैर ठंडा और पीला पड़ चुका था, जिससे यह स्पष्ट था कि पैर में रक्त का प्रवाह गंभीर रूप से बाधित हो चुका था। अस्पताल पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने एंजियोग्राफी सहित विभिन्न परीक्षण किए और पाया कि बाएं पैर की दो प्रमुख धमनियों में पूरी तरह से रुकावट हो गई थी, जिससे रक्त की आपूर्ति पूरी तरह से बंद हो चुकी थी।
आपातकालीन सर्जरी ने बचाया पैर
लखनऊ मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विशेषज्ञों ने मरीज और उनके परिवार से चर्चा के बाद उन्हें एक इमरजेंसी मिनिमल इनवेसिव वैस्कुलर सर्जरी की सलाह दी। डॉक्टरों ने कैथेटर-निर्देशित थ्रोम्बोलिसिस, स्टेंटिंग और मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए रक्त प्रवाह को बहाल किया और पैर को बचाया।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. शाहबाज मोहम्मद खान, इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी, ने बताया कि यह मामला बहुत पेचीदा था क्योंकि मरीज की धमनियों में पूरी तरह से रुकावट थी। अगर उपचार में देरी होती, तो पैर काटना ही एकमात्र विकल्प बचता। हमने मिनिमल इनवेसिव तरीके को अपनाया, जिससे रक्त प्रवाह जल्द सामान्य हो गया और मरीज फिर से अपना पैर उठाने में सक्षम हो गए।
डॉ. स्विस कुमार सिंह, सीनियर कंसल्टेंट, एंडोवास्कुलर और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी ने कहा कि ऐसे मामलों में समय पर इलाज बेहद जरूरी होता है। अगर उपचार 8 घंटे से अधिक देर से किया जाए, तो पैर काटने की संभावना 80 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। हमारी तकनीक ने बिना ओपन सर्जरी के मरीज का पैर बचा लिया और उनकी तेजी से रिकवरी सुनिश्चित की।
मरीज की रिकवरी
यह सर्जरी मैक्स हॉस्पिटल, लखनऊ की विशेषज्ञता का बेहतरीन उदाहरण है, जहां अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके गंभीर स्थितियों में भी मरीजों को पैर काटने के नकारात्मक परिणामों से बचाया जाता है। मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं और उनका पैर ठीक हो चुका है।
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