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Lucknow News: मेदांता ने मरीज़ के तीसरे किडनी ट्रांसप्लांट को बनाया सफल, स्वस्थ जीवन बिता रहे मरीज और डोनर

Lucknow News: मेदांता अस्पताल में हाल ही में हुई यह अत्यंत दुर्लभ और जटिल किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी सफलतापूर्वक की गई, जिसने न केवल मेडिकल साइंस के लिए एक मिसाल पेश की, बल्कि मरीज़ और उसके परिवार के लिए ज़िंदगी की एक नई आस जगाई है।

Newstrack Network
Published on: 11 July 2025 9:55 PM IST
Lucknow News: मेदांता ने मरीज़ के तीसरे किडनी ट्रांसप्लांट को बनाया सफल, स्वस्थ जीवन बिता रहे मरीज और डोनर
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मेदांता ने मरीज़ के तीसरे किडनी ट्रांसप्लांट को बनाया सफल  (photo: social media )

Lucknow News: बढ़ते शहरीकरण की वजह से एकाकी होते परिवारों में एक परिवार ऐसा भी है, जो अपनों की जीवनरक्षा के लिए हर मुश्किल से लड़ जाने को तैयार हैं। ऐसा ही उदाहरण लखनऊ में देखने को मिला, जहां एक 43 साल के रेलवे कॉन्ट्रैक्टर की किडनी खराब होने पर परिवार के तीन सदस्यों द्वारा किडनी देकर मरीज को जीवनदान दिया गया। परिवार में सबसे पहले मरीज के सबसे बड़े भाई, उसके बाद पत्नी और तीसरी बार मरीज से 16 साल बड़े भाई द्वारा किडनी दी गया।

मेदांता अस्पताल में हाल ही में हुई यह अत्यंत दुर्लभ और जटिल किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी सफलतापूर्वक की गई, जिसने न केवल मेडिकल साइंस के लिए एक मिसाल पेश की, बल्कि मरीज़ और उसके परिवार के लिए ज़िंदगी की एक नई आस जगाई है।

किडनी के फ़ेल होने का पता 2013 में चला

लखनऊ निवासी 43 वर्षीय मरीज़ को पहली बार किडनी के फ़ेल होने का पता 2013 में चला था। इसके बाद मरीज की डायलिसिस शुरू हुई। 2016 में उनके सबसे बड़े भाई ने किडनी दी, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली में किडनी ट्रांसप्लांट कराई गई। इससे डायलिसिस बंद हुई और ज़िंदगी सामान्य हो गई लेकिन यह किडनी 2023 तक ही चल पाई। इसके बाद पत्नी ने 2024 में मरीज को अपनी किडनी दी लेकिन दुर्भाग्य से वह ट्रांसप्लांट महज़ एक महीने में फेल हो गया और वे फिर से डायलिसिस पर आ गए। इस दौरान उनका दैनिक जीवन फिर से प्रभावित होने लगा।

दिल्ली में रहकर उन्होंने फिर से परामर्श लिया लेकिन सभी बड़े अस्पतालों ने तीसरे ट्रांसप्लांट से मना कर दिया क्योंकि दो असफल ट्रांसप्लांट के बाद तीसरे की सर्जरी मुश्किल मानी जाती है और उसके फेल होने का खतरा बहुत अधिक होता है। लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और मेदांता हॉस्पिटल, लखनऊ के डायरेक्टर, यूरोलॉजी, रेनल केयर डॉक्टर मनमीत सिंह से परामर्श लिया। यहां पूरी जांच के बाद उन्हें बताया गया कि तीसरा ट्रांसप्लांट संभव है। इस दौरान मरीज से 16 वर्ष बड़े भाई ने किडनी देने का फ़ैसला लिया।

यह सर्जरी कई मायनों में जटिल थी। मरीज़ की पांचवी किडनी, यानी दो जन्म से, दो ट्रांसप्लांट की गई और अब यह पांचवी। डॉक्टर्स के सामने सवाल यह था कि यह नई किडनी कहां लगेगी?

पहली ट्रांसप्लांट किडनी को हटाकर नई किडनी

ऐसे में तय किया कि ऑपरेशन के दौरान पहली ट्रांसप्लांट किडनी को हटाकर नई किडनी उसी स्थान पर लगाई जाएगी। यह काम आसान नहीं था क्योंकि पहले लगी किडनी नसों से चिपक चुकी थी और उन्हीं नसों में दोबारा जोड़ बनाना एक बड़ी चुनौती थी।

कई बार ऐसा होता है कि पहले पुरानी किडनी निकाली जाती है, फिर तीन महीने बाद नई किडनी लगाई जाती है। इससे मरीज़ को डायलिसिस पर लंबे समय तक रहना पड़ता है और खर्चा भी बढ़ जाता है लेकिन इस केस में, बिना समय गंवाए, उसी सर्जरी के दौरान एक्स-प्लांटेशन कर पांचवीं किडनी को मरीज़ की ओरिजिनल किडनी के यूरेटर से जोड़ा गया। यह इस केस की विशेषता रही। नसों की मरम्मत कर उसी जगह नई किडनी का ट्रांसप्लांट पूरी तरह से सफल रहा।

वर्तमान में पेशेंट और डोनर दोनों स्वस्थ हैं और मरीज़ का क्रिएटिनिन 0.9 है, जो इस सर्जरी की सफलता का संकेत है। मेदांता हॉस्पिटल, लखनऊ के डायरेक्टर, यूरोलॉजी, रेनल केयर डॉक्टर मनमीत सिंह ने कहा कि यह केस हमें सिखाता है कि कभी हार नहीं माननी चाहिए। अगर मरीज़ की स्थिति और मेडिकल पैरामीटर्स अनुमति दें और डोनर उपलब्ध हो तो तीसरा क्या चौथा ट्रांसप्लांट भी संभव है। ट्रांसप्लांट मेडिसिन में अब ऐसी तकनीकी और क्लिनिकल प्रगति हो चुकी है कि हम पहले असंभव माने जाने वाले मामलों में भी आशा की किरण देख सकते हैं।

किडनी फेल होने के लक्षण

किडनी फेल होने के लक्षणों में सबसे पहले पेशाब बनना बहुत कम हो जाता है। इसके कारण शरीर से विषैले पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते, जिससे खून में यूरिया बढ़ने लगता है और पानी शरीर में इकट्ठा होने लगता है। यह आंखों के नीचे सूजन, फेफड़ों में पानी भरना, पेट फूलना जैसी समस्याएं लाता है। साथ ही भूख कम लगना, मितली आना, अनीमिया और कमजोरी जैसे लक्षण दिखते हैं। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद यदि पेशाब का प्रवाह सही हो और तीन महीने में क्रिएटिनिन सामान्य स्तर पर आ जाए तो इसे सफल ट्रांसप्लांट माना जाता है। दवा समय पर लेने और नियमित फॉलोअप से किडनी लम्बे समय तक काम कर सकती है।

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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