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60 साल बाद मिला न्याय! पूर्वी पाकिस्तान से आए 10 हजार विस्थापितों को मिलेगा ज़मीन का मालिकाना हक, CM योगी ने किया ऐलान
Lucknow News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 60 साल से अपने हक की ज़मीन का इंतज़ार कर रहे पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित 10 हजार परिवारों के लिए सोमवार को एक ऐतिहासिक निर्णय लिया।
Lucknow News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 60 साल से अपने हक की ज़मीन का इंतज़ार कर रहे पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित 10 हजार परिवारों के लिए सोमवार को एक ऐतिहासिक निर्णय लिया। मुख्यमंत्री योगी ने इन्हें ज़मीन का वैध मालिकाना हक देने को लेकर विभागीय अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं। आपको बता दें कि पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बिजनौर और रामपुर में बसाए गए इन परिवारों ने विभाजन के समय भारत में शरण ली थी और वर्षों से कानूनी अधिकार से वंचित थे।
पूर्वी पाकिस्तान से भारत पहुंचने के बाद कानूनी अधिकार से थे वंचित
आपको बता दें कि साल 1960 से 1975 के बीच मौजूदा समय में बांग्लादेश के रूप में देखे जाने वाले पूर्वी पाकिस्तान से आए 10 हजार परिवारों को उत्तर प्रदेश के 4 ज़िलों में बसाया गया है। शुरुआत में इन्हें ट्रांजिट कैंपों के ज़रिए गांवों में बसाया गया और खेती के लिए ज़मीन भी दी गई लेकिन दस्तावेजी खामियों के साथ साथ वन विभाग के नाम पर ज़मीन दर्ज होने जैसे कारणों से अधिकतर परिवार मालिकाना हक नहीं पा सके।
कई गांवों में डाला बसेरा लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में नाम नहीं हुआ दर्ज
बताते चलें कि इन परिवारों ने वर्षों से खेती करके अपने स्थायी मकान बना लिए हैं बावजूद इसके सरकारी रिकॉर्ड में आज भी उनके नाम नहीं हैं। कुछ जगहों पर अवैध कब्जे भी हो गए हैं, वहीं कुछ गांवों में ऐसे परिवारों का अस्तित्व भी नहीं है, जिन्हें कभी बसाया गया था। इससे ज़मीन को लेकर विवाद और अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। मुख्यमंत्री योगी ने सोमवार को बैठक करते हुए अधिकारियों से कहा कि जिन ज़मीनों का आवंटन गर्वनमेंट ग्रांट एक्ट के तहत हुआ था, उन्हें अब नए कानूनी ढांचे में समायोजित किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिया कि कानूनी पहलुओं पर विचार करके रास्ता निकाला जाए क्योंकि यह कानून 2018 में समाप्त हो चुका है।
CM योगी ने दिया संदेश- 'यह सिर्फ ज़मीन नहीं, सम्मान है'
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह सिर्फ ज़मीन का मामला नहीं बल्कि उन लोगों के संघर्ष और बलिदान को सम्मान देने का मौका है, जिन्होंने देश की सीमाओं के पार से आकर यहां जीवन शुरू किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निर्णय सामाजिक न्याय, मानवता और राष्ट्रीय कर्तव्य का प्रतीक है। संबंधित जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि समयबद्ध ढंग से कार्रवाई कर विस्थापित परिवारों को भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र सौंपे जाएं।
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