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लखनऊ साइबर टावर हादसा: जर्जर छज्जे युवक की गई जान, हादसे के बाद जागा प्रबंधन, 24 घंटे में हटाया गया दूसरा कमजोर छज्जा
Lucknow News: लखनऊ साइबर टावर में बारिश के दौरान छज्जा गिरने से युवक की मौत ने प्रशासन और बिल्डिंग सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हादसे के बाद दूसरा कमजोर छज्जा हटाया गया। जांच में पाया गया कि जंग लगे लोहे की वजह से छज्जा कमजोर होकर गिरा था।
Lucknow Cyber Tower Balcony Collapse Rusted Structure Kills Youth Sparks Building Safety Debate
Lucknow News: लखनऊ के गोमती नगर स्थित साइबर टावर में शुक्रवार को मूसलाधार बारिश के दौरान बड़ा हादसा हुआ, जब बाहर बना एक छज्जा भरभराकर गिर गया और उसके नीचे दबकर एक युवक की मौत हो गई। हादसे के बाद इमारत की सुरक्षा व्यवस्था, निर्माण गुणवत्ता और प्रशासन की निगरानी पर गंभीर सवाल उठे हैं। अब बिल्डिंग प्रबंधन ने आनन-फानन में दूसरा कमजोर छज्जा भी हटवाना शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, जिस हिस्से को हटाया जा रहा है उसमें इस्तेमाल हुआ लोहा पूरी तरह जंग लगा हुआ पाया गया। यह घटना लापरवाह निर्माण और रखरखाव की खुली पोल खोलती है। सवाल यह है कि क्या किसी की जान जाने के बाद ही सिस्टम जागेगा?
हादसे के 24 घंटे में हरकत में आया बिल्डिंग प्रबंधन
घटना के बाद चौतरफा आलोचना और मीडिया में खबरें आने के बाद साइबर टावर प्रशासन हरकत में आया। हादसे के 24 घंटे के भीतर ही टावर प्रबंधन ने दूसरे कमजोर हो चुके छज्जे को हटवाना शुरू कर दिया। सुरक्षा के लिहाज से यह जरूरी कदम माना जा रहा है, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि क्या युवक की मौत के बाद ही चेतना आना लाजमी था?
छज्जा गिरने की असली वजह: जंग लगा लोहा
सूत्रों के अनुसार, जिस छज्जे के गिरने से मौत हुई, उसमें इस्तेमाल किया गया लोहे का मटेरियल पूरी तरह जंग लगा हुआ पाया गया। बारिश के कारण कमजोर हो चुका यह ढांचा अचानक टूट गया और नीचे खड़े युवक के ऊपर आ गिरा। विशेषज्ञों की मानें तो अगर समय रहते इसकी जांच और मरम्मत कर ली जाती, तो यह जान बचाई जा सकती थी।
बिना सेफ्टी ऑडिट, कैसे खड़ी हो रहीं बहुमंजिला इमारतें?
यह हादसा लखनऊ जैसे स्मार्ट सिटी बनने की ओर बढ़ते शहर में बिल्डिंग सेफ्टी की हकीकत उजागर करता है। शहर में बड़ी संख्या में बहुमंजिला व्यावसायिक और आवासीय इमारतें हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश का समय-समय पर सेफ्टी ऑडिट नहीं होता। ऐसे में यह सवाल उठता है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) और जिला प्रशासन आखिर कैसे बिल्डिंग सेफ्टी सुनिश्चित करता है?
क्या कोई कार्रवाई होगी या फिर हादसा फाइलों में दब जाएगा?
मामले में अब तक किसी जिम्मेदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सूचना नहीं है। न ही यह स्पष्ट है कि मृतक के परिजनों को मुआवजा मिलेगा या नहीं। सवाल यह भी है कि क्या बिल्डिंग बायलॉज के उल्लंघन पर प्रशासन बिल्डिंग मालिक पर कोई केस दर्ज करेगा? या यह मामला भी बाकी हादसों की तरह जांच और फाइलों के बोझ तले दफन हो जाएगा?
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