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Lucknow: CJI पर हमले के विरोध में संविधान की रक्षा का बिगुल! डॉ. अंबेडकर संगठन ने किया पैदल मार्च
Lucknow News: CJI पर हमले के खिलाफ लखनऊ में पैदल मार्च, संविधान व न्यायपालिका की गरिमा बचाने की उठी आवाज़।
CJI पर हमले के विरोध में लखनऊ में उठा संविधान की रक्षा का बिगुल (PHOTO: Newstrack.com)
Lucknow News: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) पर हुई जूता फेंकने की शर्मनाक घटना के खिलाफ देशभर में रोष देखने को मिल रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को लखनऊ में डॉ. अंबेडकर संवैधानिक महासंघ और उससे जुड़े संगठनों ने परिवर्तन चौक पर नारेबाजी करते हुए पैदल मार्च निकाला। न्यायपालिका की गरिमा और संवैधानिक संस्थाओं की प्रतिष्ठा बचाने के संकल्प के साथ निकले इस मार्च में सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों, अधिवक्ताओं और बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने 'न्यायपालिका की गरिमा अमर रहे' और 'संविधान सर्वोपरि है' जैसे नारे लगाए। अंत में राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा गया। इस प्रदर्शन के दौरान अनिल मिश्रा को फांसी दो जैसे नारे भी लगाए गए।
बड़ी संख्या में प्रदर्शन करने पहुंचे लोग, न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा का संकल्प
सोमवार को परिवर्तन चौक से दोपहर 3 बजे शुरू हुए इस मार्च में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। डॉ. अंबेडकर संवैधानिक महासंघ के अध्यक्ष राजेश कुमार सिद्धार्थ ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना केवल एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि देश की न्याय व्यवस्था और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आघात है। उन्होंने इसे संविधान के प्रति असहिष्णुता का उदाहरण बताते हुए कहा कि यह घटना न केवल न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाती है, बल्कि देश के कानून के शासन पर भी सवाल खड़े करती है। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए आरोपी अनिल मिश्रा को फांसी देने की मांग की।
संवैधानिक संस्थाओं की सुरक्षा पर जोर
प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर हुए हमले की निष्पक्ष और त्वरित जांच कराई जाए। दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई हो ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों। इसके साथ ही उन्होंने संवैधानिक संस्थाओं की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह हमला केवल एक व्यक्ति पर नहीं बल्कि पूरे देश की न्याय व्यवस्था और कानून के शासन के सिद्धांतों पर है। हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान और उसकी संस्थाओं की रक्षा करे।
शांतिपूर्ण मार्च से उठी एकजुटता की आवाज़
चौराहे पर नारेबाजी से शुरू हुए पैदल मार्च में विभिन्न सामाजिक और छात्र संगठनों ने संविधान और न्यायपालिका की प्रतिष्ठा के समर्थन में अपनी एकजुटता दिखाई। इस दौरान समाज के बुद्धिजीवी वर्ग ने भी भाग लिया। प्रदर्शन के दौरान विरोध करने वाले लोगों ने कहा कि देश में असहिष्णुता और संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ होती घटनाओं को रोकने के लिए नागरिक समाज को एकजुट होना होगा। यह मार्च केवल विरोध नहीं बल्कि संवैधानिक चेतना का प्रतीक बन गया, जिसमें लोगों ने संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
प्रदर्शन में कई संगठनों की भागीदारी, जिला प्रशासन को सौंपा गया ज्ञापन
मार्च के अंत में डॉ. अंबेडकर राष्ट्रीय अधिकार मंच, छत्रपति शाहूजी महाराज स्मृति मंच, बहुजन विकास समिति, संविधान रथ यात्रा समिति, अंबेडकर युवा एकता समिति, आरक्षण बचाओ संघ, समता मूलक समाजिक परिवर्तन समिति, भारतीय स्वच्छकार समाज जागृति मिशन समेत दर्जनों संगठनों ने भागीदारी दर्ज कराई। प्रदर्शनकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा, जिसमें न्यायपालिका की गरिमा पर हमला करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और संविधान की संस्थाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की गई।
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