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Lucknow University: महिला और आरआरएस पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले शिक्षक का मामला पहुंचा थाने, कार्रवाई की उठी मांग
Lucknow News: छात्र नेता कार्तिक पांडेय ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षक रविकांत चंदन ने फेसबुक पोस्ट किया है। इस पोस्ट में महिलाओं और आरएसएस के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया है। इससे छात्रों की भावनाएं आहत हुई हैं, बल्कि यह समाज में गलत संदेश भी फैला रहा है।
Lucknow University (PHOTO: Newstrack.com)
Lucknow News: महिला और आरआरएस पर आपत्तिजनक टिप्पणी का मामला हसन गंज थाने तक पहुंच गया है। छात्रों का आक्रोश अब पुलिस तक पहुंच गया है। छात्र नेता कार्तिक पांडेय ने मामले का कड़ा विरोध करते हसनगंज थाने में प्रोफेसर के खिलाफ लिखित शिकायत दी है और कार्रवाई करने की मांग की है।
इस पोस्ट से छात्रों की भावनाएं आहत हुई है
छात्र नेता कार्तिक पांडेय ने बताया कि लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षक रविकांत चंदन ने फेसबुक पोस्ट किया है। इस पोस्ट में महिलाओं और आरएसएस के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया है। इससे छात्रों की भावनाएं आहत हुई हैं, बल्कि यह समाज में गलत संदेश भी फैला रहा है। इसलिए विश्वविद्यालय के कुलपति को भी लिखित शिकायत देकर मांग की है कि इस शिक्षक के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ स्व कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने पर अब पुलिस से शिकायत की गई है।
अन्य छात्र हैं नाराज
विश्वविद्यालय के शिक्षक की इस पोस्ट को लेकर विश्वविद्यालय के अन्य छात्र भी नाराज हैं। उनका कहना है कि शिक्षकों को समाज के लिए एक उदाहरण होना चाहिए, लेकिन इस तरह की टिप्पणियां समाज में विष घोलती हैं और छात्रों के बीच नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। कई छात्रों और संगठनों ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग की है।
जांच के बाद होगी कार्रवाई
विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह जानकारी दी है कि मामले को संज्ञान में लिया गया है। इस मामले में जांच टीम बना दी गई है। शिकायत प्राप्त होने पर अब जांच टीम जांच के बाद ही कार्रवाई करने का निर्णय लिया जाएगा।
शिक्षक को सस्पेंड करने की मांग
छात्र नेता कार्तिक पांडेय ने कहा यह मामला सिर्फ एक शिक्षक की टिप्पणी का नहीं, बल्कि शिक्षण संस्थानों में अनुशासन, जिम्मेदारी और अभिव्यक्ति की मर्यादा से जुड़ा है। ऐसे मामलों से यह सवाल उठता है कि सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर क्या किसी को भी किसी भी संस्था या वर्ग के खिलाफ कुछ भी कहने की छूट होनी चाहिए। इस तरह के पोस्ट करने वाले शिक्षक को विश्वविद्यालय से सस्पेंड होना चाहिए।
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