दिव्येंदु बागची schizophrenia की चपेट में बलरामपुर अस्पताल में चल रहा इलाज

Lucknow News: मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों रुपये कमाने वाला कोलकाता निवासी दिव्येंदु बागची मानसिक रूप से बीमार हो गए हैं। इलाज बलरामपुर अस्पताल में इलाज चल रहा है।

Shubham Pratap Singh
Published on: 17 Sept 2025 9:51 PM IST (Updated on: 20 Sept 2025 5:30 PM IST)
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Lucknow News: मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों रुपये कमाने वाला कोलकाता निवासी दिव्येंदु बागची (55) इन दिनों मानसिक बीमारी सिजोफेनिया ( schizophrenia) की बीमारी की चपेट में आ गए हैं। जिसकी वजह से उनकी नौकरी भी छूट गयी। उन्हें (CRPF) ने बलरामपुर अस्पताल में भर्ती किया गया है।

लावारिस वार्ड में किया गया था भर्ती

मानसिक रोग विशेषज्ञ व अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. देवाशीष शुक्ला ने बताया कि सीआरपीएफ के जवानों ने उन्हें बलरामपुर अस्पताल के लावारिस वार्ड में भर्ती करा दिया। यहां इसके बाद उनका इलाज शुरू हुआ।

दवाओं से थोड़ी स्थिति सुधरी फिर बताया परिवार का नाम और पता

डॉ. देवाशीष ने बताया कि दिव्येंदु की दवाओं द्वारा जब स्तिथि ठीक हुई तो उनसे परिवार के बारे में जानकारी ली गयी। इसके बाद परिवारीजनों को भाई दिव्येंदु के बलरामपुर अस्पताल में भर्ती होने की जानकारी दी गयी। बुधवार को परिवारीजन बलरामपुर अस्पताल आए। तबियत में सुधार व परिवार का पता लगने के बाद मरीज को लावारिस की जगह सामान्य वार्ड में भर्ती किया गया। प्रवेन्दु बागची ने भाई दिव्येंदु को देखा। तो उनकी आंखें भर गई। भाई को गले लगा लिया। अस्पताल में डॉक्टर व कर्मचारियों का धन्यवाद किया।

उन्होंने कहा कि आठ अगस्त से भाई कोलकाता से लापता थे। काफी तलाश किया। लेकिन जानकारी नहीं मिल रही थी। हम लोग काफी परेशान थे। दिव्येंदु ने एम-टेक और बाद में एमबीए किया। मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी करते थे। बीमारी की वजह से सब छूट गया। उनकी पत्नी भी मानसिक रोग की चपेट में हैं। उनके काई भी संतान नहीं है। अस्पताल की निदेशक डॉ. कविता आर्या ने बताया कि मरीज को आरपीएफ के जवानों ने भर्ती कराया था। डॉक्टर व कर्मचारियों ने मरीज की देखभाल की। सभी दवाएं व जांचें अस्पताल से कराई जा रही हैं। सीएमएस डॉ. हिमांशु चतुर्वेदी ने बताया कि इलाज के बाद से मरीज की तबीयत में सुधार है। उन्होंने बताया कि मरीज को पुख्ता इलाज मुहैया कराया जाए तो बीमारी काबू में आ सकती है। परिवार को भी ध्यान देने की जरूरत है। मरीज के गले में पहचान पत्र व मोबाइल नम्बर जरूर दर्ज करें। कोशिश करें उन्हें घर से बाहर अकेले न जाने दें। मरीज के परिवारीजनों ने अस्पताल के इंतजामों की तारीफ की।

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