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Mahoba News: दूल्हा चप्पल पहनकर निकला तो दबंगों ने पीट दिया, दुल्हन से भी की गई अभद्रता
Mahoba News: जातिवादी मानसिकता और सामंतवादी सोच ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। महोबा जिले के अजनर थाना क्षेत्र के मवईया गांव से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने दलित समुदाय को झकझोर दिया है,
Mahoba News (Social Media)
Mahoba News:उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल में जातिवादी मानसिकता और सामंतवादी सोच ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। महोबा जिले के अजनर थाना क्षेत्र के मवईया गांव से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने न सिर्फ दलित समुदाय को झकझोर दिया है, बल्कि पूरे क्षेत्र में आक्रोश की लहर दौड़ा दी है। दुल्हा दूल्हन के सिर्फ चप्पल पहनकर दरवाजे से निकलने पर भड़के दबंगों ने मारपीट कर दी।
गांव के निवासी सुनील नामक युवक की शादी के बाद, जब वह अपनी नवविवाहिता पत्नी को लेकर पारंपरिक रीति-रिवाजों के तहत मंदिर जा रहा था, तब उसे रास्ते में जातीय उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। आरोप है कि गांव के ठाकुर समाज के दबंगों दिलीप ठाकुर, भूपत ठाकुर, जीतू ठाकुर और बिट्टू ठाकुर ने रास्ते में चारपाई डालकर उन्हें रोका और चप्पल पहनकर ऊंची जाति के दरवाजे से गुजरने को लेकर आपत्ति जताई। सुनील द्वारा विरोध करने पर आरोपियों ने न सिर्फ उसे जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया बल्कि बर्बर तरीके से मारपीट भी की। इस हमले में सुनील के साथ आए उसके परिजन अजय और कल्ला भी घायल हो गए। पीड़ितों का आरोप है कि नवविवाहिता के साथ भी धक्का-मुक्की की गई और उसे अपमानित करने की कोशिश की गई।
घटना की सूचना मिलने पर पुलिस ने मामला तो दर्ज कर लिया, लेकिन पीड़ितों के मुताबिक न तो मेडिकल परीक्षण कराया गया और न ही अब तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी हुई है। उल्टा पीड़ित परिवार पर राजीनामा का दबाव बनाया जा रहा है। पीड़ित सुनील का कहना है कि दबंगों की खुलेआम गुंडागर्दी के बावजूद पुलिस का रवैया अत्यंत निराशाजनक है। उन्होंने पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर न्याय की गुहार लगाई और आरोपियों पर सख्त कार्यवाही की मांग की।
वहीं इस मामले में सीओ कुलपहाड़ हर्षिता गंगवार ने कहा कि मामला संज्ञान में है और आरोपियों के खिलाफ शांति भंग की धारा 151 के तहत कार्रवाई की गई है। आगे की जांच जारी है और आवश्यक विधिक कार्रवाई की जाएगी। इस शर्मनाक घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि समाज में जातिवादी सोच आज भी गहराई से जड़ें जमाए हुए है। पीड़ित परिवार को अब भी न्याय की आस है, और यह देखना बाकी है कि प्रशासन इस सामाजिक अन्याय पर कितनी तत्परता से कार्यवाही करता है।
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