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मथुरा में मचा हंगामा! बांके बिहारी मंदिर के खजाने पर विवाद, संतों ने पीएम से CBI जांच की रखी मांग
Banke Bihari Toshkhana: वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के तोषखाने से करोड़ों का खजाना गायब, संत समाज ने सीबीआई जांच की मांग कर जल्द कार्रवाई की चेतावनी दी है।
Banke Bihari Toshkhana
Banke Bihari Toshkhana: वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी जी मंदिर के वर्षों पुराने तोषखाने (खजाने के तहखाने) को 54 साल बाद खोले जाने के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। तहखाना खुलने के बाद जो दृश्य सामने आया, उसने पूरे ब्रज क्षेत्र में सनसनी फैला दी। जहां सोना-चांदी, हीरे-जवाहरात और बेशकीमती आभूषण मिलने की उम्मीद थी, वहां कुछ मामूली वस्तुएं ही मिलीं। अब संत समाज ने इसे करोड़ों भक्तों की आस्था से जुड़ा मुद्दा बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीबीआई जांच की मांग की है।
54 साल बाद खुला तोषखाना, खजाना गायब
मंदिर समिति ने 18 अक्टूबर 2025 को बांके बिहारी जी के तोषखाने को 54 साल बाद खोला। दावा किया गया था कि इसमें सोना, चांदी, हीरे-जवाहरात, आभूषण और मंदिर को दान में मिली संपत्तियों के कागजात रखे गए थे। लेकिन जब तहखाना खोला गया तो वहां से केवल कुछ बर्तन, सोने की एक छड़, चांदी की तीन छड़ें, कुछ मोती और दो तांबे के सिक्के ही मिले। कथित तौर पर करोड़ों रुपये के खजाने का कोई सुराग नहीं मिला। इस खुलासे से ब्रज क्षेत्र के संत समाज और भक्तों में गहरा रोष फैल गया है।
संत समाज का गुस्सा और प्रधानमंत्री को पत्र
श्रीकृष्ण जन्मभूमि संघर्ष समिति के अध्यक्ष दिनेश फलाहारी महाराज ने इस पूरे मामले को “साजिश” करार दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग की है। पत्र में आरोप लगाया गया कि खजाने के तालों पर सरकारी सील नहीं लगी थी, जिसका फायदा उठाकर कुछ मंदिर व्यवस्थापकों ने श्रद्धालुओं की दान की गई संपत्ति में हेराफेरी की। महाराज ने कहा कि यह मामला करोड़ों भक्तों की आस्था और मंदिर की प्रतिष्ठा से जुड़ा है, इसलिए केंद्र सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री योगी को भी लिखा गया पत्र
फलाहारी महाराज ने बताया कि उन्होंने 19 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी इसी मांग को लेकर पत्र भेजा था। हालांकि, राज्य सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
संत समाज की बैठक और चेतावनी
इधर, वृंदावन के उड़िया बाबा मंदिर में संत समाज की बैठक बुलाई गई। इस बैठक में साध्वी इंदुलेखा, अनिल कृष्ण शास्त्री, राजेश पाठक और महामंडलेश्वर रामदास महाराज सहित कई प्रमुख संत शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में कहा कि अगर जल्द सीबीआई जांच नहीं शुरू की गई, तो वे आमरण अनशन पर बैठेंगे। साध्वी इंदुलेखा ने कहा कि राजा-महाराजाओं और भक्तों द्वारा दान में दिया गया यह खजाना सनातन धर्म की धरोहर है। इसे लूटने वालों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।
इतिहास से जुड़ा विवाद
इतिहासकारों के अनुसार, आखिरी बार 1971 में तोषखाना खोला गया था, जब कुछ कीमती सामान को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, मथुरा शाखा में जमा कराया गया था। उस समय खजाने की सुरक्षा को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश भी बनाए गए थे। अब 54 साल बाद खजाना गायब मिलना प्रशासनिक लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
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