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Mathura News: बांकेबिहारी मंदिर विवाद: परंपरा बनाम सरकारी हस्तक्षेप, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माँगा जवाब
Mathura News: श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्ती ने एक बार फिर धार्मिक संस्थानों में सरकारी दखल पर बहस छेड़ दी है।
Mathura News (image from Social Media))
Mathura News: मथुरा स्थित प्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी "श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025" पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्ती ने एक बार फिर धार्मिक संस्थानों में सरकारी दखल पर बहस छेड़ दी है। याचिकाकर्ता प्रणव गोस्वामी समेत अन्य ने इसे मंदिर की पारंपरिक स्वायत्तता पर आघात बताया है।
यह मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि ब्रज की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का केंद्र है। वर्ष 1956 से सात सदस्यीय समिति मंदिर का संचालन करती रही है। वर्ष 2016 में समिति के विघटन के बाद मामला न्यायालय में पहुँचा और अदालत ने खुद को रिसीवर नियुक्त किया। इसके बाद सेवा व्यवस्था बाधित होने लगी।
हाल ही में मंदिर के सेवायतों ने आपसी सहमति से नई समिति का गठन किया, जो फिलहाल काम कर रही है। परंतु इसी बीच राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित सरकारी ट्रस्ट में जिलाधिकारी, एसएसपी व नगर आयुक्त को ट्रस्टी बनाए जाने से विवाद और गहरा गया। याचिकाकर्ताओं ने इसे संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है।
हाईकोर्ट ने मामले में राज्य सरकार से जवाब माँगा है और 30 जुलाई 2025 को अंतिम सुनवाई तय की है। यह निर्णय न केवल बांकेबिहारी मंदिर की व्यवस्था, बल्कि पूरे देश में धार्मिक स्थलों की स्वायत्तता को दिशा देने वाला साबित हो सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मंदिरों के प्रबंधन में किसी भी हस्तक्षेप से पहले स्थानीय परंपराओं और समाज की सहमति आवश्यक है। अन्यथा व्यवस्था सुधार के नाम पर यह सांस्कृतिक हस्तक्षेप बन सकता है। अब निगाहें अदालत के फैसले पर टिकी हैं, जो तय करेगा – प्राथमिकता परंपरा को दी जाएगी या सरकारी नियंत्रण को।
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