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Mathura News: गांव के बच्चों की शिक्षा पर संकट: प्राथमिक स्कूलों के विलय के खिलाफ आंदोलन तेज

Mathura News: प्राथमिक स्कूलों के विलय के खिलाफ मथुरा में जोरदार प्रदर्शन, स्वराज भारतीय न्याय पार्टी ने सरकार को चेताया—यदि फैसला वापस नहीं हुआ तो होगा उग्र आंदोलन।

Amit Sharma
Published on: 24 July 2025 5:14 PM IST
Crisis over education of village children: Movement against merger of primary schools intensifies
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गांव के बच्चों की शिक्षा पर संकट: प्राथमिक स्कूलों के विलय के खिलाफ आंदोलन तेज (Photo- Newstrack)

Mathura News: मथुरा। प्रदेश सरकार द्वारा परिषदीय विद्यालयों (प्राथमिक स्कूलों) के विलय के निर्णय के विरोध में स्वराज भारतीय न्याय पार्टी ने गुरुवार को ज़िला मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। नौहझील, सुरीर, मांट सहित मथुरा देहात के कई गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों ने टैंक चौराहे से पैदल मार्च करते हुए ज़िला मुख्यालय की ओर रुख किया। प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी चंद्रप्रकाश को ज्ञापन सौंपकर सरकार के इस निर्णय को तत्काल वापस लेने की मांग की।

ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था पर खतरा

ज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अधिकतर परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हैं और वे अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने की स्थिति में नहीं हैं। इन बच्चों के लिए सरकारी विद्यालय ही एकमात्र सहारा हैं। यदि इन विद्यालयों को बंद कर दिया गया या एक में विलय कर दिया गया, तो बच्चों की पढ़ाई पर सीधा और गंभीर असर पड़ेगा।

सरकारी स्कूलों का बंद होना शिक्षा का हनन

प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों और स्वराज भारतीय न्याय पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार का यह फैसला शिक्षा के अधिकार अधिनियम और समाज के कमजोर तबके के हितों के खिलाफ है। ग्रामीणों ने इस नीति को शोषणकारी और असंवेदनशील करार दिया।

विलय के विरोध में उग्र आंदोलन की चेतावनी

स्वराज भारतीय न्याय पार्टी ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इस निर्णय को शीघ्र वापस नहीं लिया, तो उन्हें मजबूर होकर उग्र आंदोलन छेड़ना पड़ेगा। पार्टी की मांग है कि न केवल विद्यालयों को बंद करने की नीति पर पुनर्विचार किया जाए, बल्कि ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था को और सशक्त बनाया जाए।

प्रदेश भर में विरोध की लहर

यह पहली बार नहीं है जब इस मुद्दे पर आवाज उठी हो। प्रदेश के कई जिलों में सामाजिक संगठन और ग्रामीण लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जनप्रतिनिधियों से लेकर स्थानीय कार्यकर्ताओं तक, सभी इसे एक जनविरोधी निर्णय मान रहे हैं।

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