Meerut News: अपनी ही नाबालिग बेटी से दुष्कर्म करने वाले पिता को 20 साल की कैद

Meerut News: मेरठ की विशेष पाक्सो अदालत ने अपनी ही नाबालिग बेटी से दुष्कर्म करने के आरोप में 20 वर्ष के कठोर कारावास और 17 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई।

Sushil Kumar
Published on: 26 Sept 2025 9:48 PM IST
Father sentenced to 20 years in prison for abusing his own minor daughter
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अपनी ही नाबालिग बेटी से दुष्कर्म करने वाले पिता को 20 साल की कैद (Photo- Newstrack)

Meerut News: नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म जैसा घिनौना अपराध करने वाले एक पिता को शुक्रवार को मेरठ की विशेष पाक्सो अदालत ने 20 वर्ष के कठोर कारावास और 17 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने की स्थिति में उसे दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। यह फैसला मेरठ पुलिस के “ऑपरेशन कनविक्शन” अभियान के तहत की गई त्वरित और प्रभावी पैरवी का परिणाम है।

थाना टीपीनगर पुलिस के अनुसार, 14 अगस्त 2020 को आरोपी अमित जिंदल, पुत्र रामानंद, निवासी 174/के, इस्लामनगर, गली नंबर-2, मलियाना, थाना टीपीनगर, मेरठ ने अपनी ही नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म किया था। घटना की जानकारी होने पर पीड़िता की मां ने थाना टीपीनगर में तहरीर दी। इसके आधार पर मुकदमा संख्या 539/2020 धारा 376, 323, 504 भादवि और 5/6 पाक्सो एक्ट में दर्ज किया गया।

पुलिस ने इस मामले को गंभीर चुनौती मानते हुए तत्काल कार्रवाई की और आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देशन एवं अपर पुलिस अधीक्षक अपराध/नोडल अधिकारी मॉनिटरिंग सेल के पर्यवेक्षण में पुलिस टीम ने लगातार साक्ष्य जुटाए और अभियुक्त को कड़ी सजा दिलाने के लिए मजबूत पैरवी की।

अभियोजन पक्ष की ओर से अभियोजन अधिकारी आकाश अग्रवाल, कोर्ट मोहर्रिर म0का0 538 डिम्पल राणा, प्रभारी निरीक्षक टीपीनगर अरुण कुमार मिश्रा, कोर्ट पैरोकार का0 1334 अनमोल कुमार और का0 1190 अवधेश कटारा ने मामले को मजबूती से न्यायालय के समक्ष रखा।

माननीय विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट-तृतीय, मेरठ ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद आरोपी को दोषी करार देते हुए 20 वर्ष के कठोर कारावास और 17 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई।

मेरठ पुलिस ने कहा कि “ऑपरेशन कनविक्शन” के तहत ऐसे जघन्य अपराधियों को कानून की कठोर सजा दिलाने के लिए निरंतर प्रभावी पैरवी की जा रही है, ताकि समाज में कानून का भय बना रहे और पीड़ितों को शीघ्र न्याय मिल सके। यह फैसला समाज को यह संदेश देता है कि नाबालिगों के साथ अपराध करने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

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